साइबर फ्रॉड आज देश ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व का सबसे बड़ा संगठित अपराध बन चुका है। हालांकि, सरकार स्कैमर्स पर शिकंजा कसने की कोशिश कर रही है, लेकिन इसके बावजूद साइबर ठग रोज़ नए तरीकों से लोगों को ठगने में सफल हो रहे हैं। पिछले 6 महीनों में दिल्लीवासियों को 452 करोड़ रुपये का चूना लगाया गया।
पिछले साल की तुलना में बढ़ी ठगी
दिल्ली पुलिस की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल साइबर ठगों ने 6 महीनों में लगभग 175 करोड़ रुपये की ठगी की थी। लेकिन इस बार यह आंकड़ा बढ़कर 452 करोड़ रुपये हो गया। यह दर्शाता है कि साइबर अपराधी अधिक सक्रिय हो गए हैं।
दिल्ली में साइबर ठगी की प्रमुख घटनाएं
- 19 नवंबर 2024:
- दिल्ली पुलिस ने एक अंतरराष्ट्रीय ठग को गिरफ्तार किया, जिसने 100 करोड़ रुपये की ठगी की थी। आरोपी चाइनीज नागरिक व्हाट्सएप ग्रुप के ज़रिए ऑनलाइन स्टॉक ट्रेडिंग के नाम पर लोगों को ठगता था।
- 15 नवंबर 2024:
- रोहिणी इलाके में एक सेवानिवृत्त इंजीनियर को ‘डिजिटल अरेस्ट’ के जरिए 10 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी का शिकार बनाया गया।
- 4 अगस्त 2024:
- सीआर पार्क में एक बुजुर्ग महिला को 83 लाख रुपये गंवाने पर मजबूर किया गया।
- 24 जून 2024:
- एक व्यक्ति को डेटिंग ऐप के जरिए बंधक बनाकर 1.5 लाख रुपये वसूल लिए गए।
- 16 मई 2024:
- साइबर ठगों ने एक महिला से निवेश पर बड़ा रिटर्न देने का लालच देकर 23 लाख रुपये ठग लिए।
साइबर ठगों के शिकार कैसे बनते हैं लोग?
साइबर अपराध कई प्रकार से होता है, जिसमें शामिल हैं:
- इंटरनेट बैंकिंग ठगी: बैंक खाते की जानकारी लेकर धोखाधड़ी।
- सोशल मीडिया फ्रॉड: फर्जी प्रोफाइल या लिंक से ठगी।
- मालवेयर अटैक: वायरस के जरिए डिवाइस हैक करना।
डिजिटल अरेस्ट: साइबर क्राइम का नया तरीका
‘डिजिटल अरेस्ट’ साइबर ठगी का एक उभरता हुआ तरीका है। इसमें अपराधी खुद को सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताकर वीडियो कॉल करते हैं।
- आधार कार्ड, बैंक खाता या सिम कार्ड का गैरकानूनी उपयोग का झूठा दावा करते हैं।
- गिरफ्तारी का डर दिखाकर लाखों रुपये वसूलते हैं।
डेटिंग ऐप्स से सावधान
दिल्ली में डेटिंग ऐप्स पर सक्रिय गैंग नए तरीके से लोगों को ठग रहे हैं।
- पहले लड़कियां मीठी बातों से फंसाती हैं।
- फिर रेस्टोरेंट में बुलाकर भारी-भरकम बिल थमा दिया जाता है।
- शिकायतों के अनुसार, यह ठगी भी बढ़ रही है।
साइबर ठगों की नई रणनीतियां
साइबर ठग अब डिजिटल वॉलेट का उपयोग कर रहे हैं।
- एटीएम से पैसे निकालकर स्रोत छुपाते हैं।
- ट्रांसक्शन्स का पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
शिकायत कैसे और कहां करें?
- यदि आपको ऐसा कॉल आता है तो इसे नजरअंदाज करें और स्थानीय पुलिस को सूचित करें।
- नेशनल साइबर क्राइम हेल्पलाइन: 1930 पर शिकायत दर्ज कराएं।
- सोशल मीडिया: @cyberdost पर शिकायत करें।
जागरूकता ही बचाव
सरकार और पुलिस द्वारा जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं, लेकिन खुद सतर्क रहना बेहद जरूरी है। किसी भी अनजान लिंक, कॉल या ईमेल का जवाब न दें। बैंकिंग डिटेल्स और ओटीपी साझा न करें। साइबर अपराध से बचने के लिए सतर्कता ही सबसे बड़ा हथियार है।