‘पुष्पा: द राइज’ की अपार सफलता के बाद ‘पुष्पा 2: द रूल’ का इंतजार दर्शकों में काफी समय से था। तेलुगु सिनेमा के दिग्गज निर्देशक सुकुमार और सुपरस्टार अल्लू अर्जुन की इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त धमाका किया है। फिल्म की कहानी पुष्पराज के संघर्ष, सत्ता और लाल चंदन के व्यापार पर केंद्रित है, लेकिन इसे और बड़ा बनाने की कोशिश में कुछ खामियां भी झलकती हैं।
फिल्म की शुरुआत पुष्पा के बचपन से होती है। यह दिखाया गया है कि कैसे एक कोमल पुष्पराज समय के साथ सत्ता का प्रतीक बन जाता है। अल्लू अर्जुन ने इस बार अपने किरदार को और भी गहराई दी है। उनके दमदार डायलॉग्स और भावनात्मक दृश्यों ने दर्शकों का दिल जीत लिया। हिंदी में डबिंग के लिए श्रेयस तलपड़े ने बेहतरीन काम किया है। उनकी आवाज ने पुष्पा के किरदार को और भी प्रभावशाली बना दिया।
सीक्वल का दबाव और निर्देशक की चुनौतियां
‘पुष्पा 2’ को सफल बनाने के लिए सुकुमार ने काफी मेहनत की है, लेकिन पिछली फिल्म की तुलना में यह कहीं-कहीं कमजोर नजर आती है। ‘पुष्पा 2’ की कहानी में बचपन से लेकर बुजुर्गियत तक का सफर दिखाने की कोशिश हुई है, जो दर्शकों के लिए कुछ नया तो है, लेकिन कहीं-कहीं खिंची हुई भी लगती है।
निर्देशक सुकुमार को यह लगता रहा कि पहली फिल्म की सफलता का पूरा श्रेय अल्लू अर्जुन और रश्मिका मंदाना को मिला था। इस बार उन्होंने कहानी में ज्यादा परतें जोड़ने की कोशिश की है, लेकिन यह जटिलता दर्शकों को उलझा सकती है।
अल्लू अर्जुन की शानदार परफॉर्मेंस
अल्लू अर्जुन ने पुष्पा के किरदार को इस बार और भी ऊंचाइयों पर ले जाने की कोशिश की है। ‘मैं झुकेगा नहीं’ का उनका एटीट्यूड इस बार भी कहानी का मुख्य आकर्षण है। फिल्म में उनका फ्लावर से फायर बनने का सफर शानदार तरीके से दिखाया गया है। रश्मिका मंदाना (श्रीवल्ली) का किरदार भी इस बार उतना दमदार नहीं है, लेकिन एक खास सीन में उन्होंने अपनी छाप छोड़ी है।
फहद फासिल और अन्य किरदार
फहद फासिल ने फिल्म में भंवर सिंह के किरदार को निभाया है, जो पुष्पा के लिए चुनौती खड़ी करता है। हालांकि, इस बार फहद के किरदार को वह स्पेस नहीं मिला, जो उन्हें पहले भाग में मिला था। उनकी जगह प्रताप रेड्डी के किरदार को ज्यादा महत्व दिया गया है, लेकिन वह गब्बर जैसा प्रभाव नहीं छोड़ पाए।
संगीत और निर्देशन
फिल्म के गानों ने पिछली फिल्म की तरह जादू नहीं बिखेरा। ‘ऊ अंटावा’ और ‘तेरी झलक अशर्फी’ जैसे गाने देने वाले देवी श्री प्रसाद इस बार अपनी लय में नहीं दिखे। हालांकि, बैकग्राउंड म्यूजिक ने फिल्म को सहारा दिया। सुकुमार का निर्देशन बेहतरीन है, लेकिन कहानी की लंबाई और कुछ अतिरिक्त ट्रैक्स इसे कमजोर बनाते हैं।
फिल्म की कमजोर कड़ियां
फिल्म में कई सीन जरूरत से ज्यादा खिंचे हुए लगते हैं। श्रीलीला को श्रीवल्ली के विकल्प के रूप में पेश किया गया, लेकिन वह समांथा जैसी गहराई और चपलता नहीं दिखा सकीं। इसके अलावा, कहानी के कुछ हिस्से में दोहराव का अनुभव होता है।
फाइनल वर्डिक्ट
‘पुष्पा 2: द रूल’ ने सिनेमाघरों में दर्शकों का मनोरंजन किया और बॉक्स ऑफिस पर धमाकेदार कमाई की। अल्लू अर्जुन का प्रदर्शन, सुकुमार का निर्देशन और कहानी का एक्शन पक्ष दर्शकों को पसंद आएगा। हालांकि, फिल्म में कुछ खामियां जरूर हैं, लेकिन पुष्पा का जादू इन्हें ढक देता है।
रेटिंग: 3.5/5
‘पुष्पा 2’ एक शानदार मनोरंजन फिल्म है, लेकिन यह पिछली फिल्म की बराबरी करने में थोड़ी कमजोर साबित होती है। इसके बावजूद, अल्लू अर्जुन के फैंस इसे मिस नहीं कर सकते।