अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर के बाहर बुधवार सुबह शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के नेता सुखबीर सिंह बादल पर जानलेवा हमले का प्रयास किया गया। इस हमले को पंजाब पुलिस के सतर्क सहायक उपनिरीक्षक (ASI) जसबीर सिंह ने अपनी तत्परता से नाकाम कर दिया। इस घटना ने सुरक्षा और सतर्कता के महत्व को फिर से रेखांकित किया।
कैसे हुआ हमला?
घटना बुधवार सुबह करीब साढ़े नौ बजे की है। सुखबीर सिंह बादल, जो पैर में फ्रैक्चर के कारण व्हीलचेयर पर थे, स्वर्ण मंदिर के प्रवेश द्वार पर थे। तभी हमलावर नारायण सिंह चौरा, जो बादल के बिल्कुल करीब खड़ा था, धीरे-धीरे उनकी ओर बढ़ा और अचानक अपनी जेब से पिस्तौल निकाल ली। जैसे ही उसने ट्रिगर दबाने की कोशिश की, सादे कपड़ों में तैनात ASI जसबीर सिंह ने तुरंत हरकत में आते हुए चौरा को दबोच लिया।
इस हाथापाई में पिस्तौल से गोली चल गई, लेकिन सौभाग्यवश वह सुखबीर सिंह बादल को न लगते हुए दीवार पर जा लगी। बाद में मौके पर मौजूद शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) के कार्यबल और अन्य सुरक्षाकर्मियों ने हमलावर को पकड़ लिया और हथियार छीन लिया।
ASI जसबीर सिंह की तत्परता ने बचाई जान
इस घटना के वीडियो में देखा जा सकता है कि ASI जसबीर सिंह पूरी तरह सतर्क थे। जैसे ही हमलावर ने पिस्तौल निकाली, जसबीर सिंह ने बिना देरी किए उसके हाथों को पकड़ लिया और उसे धक्का देकर दूर कर दिया। जसबीर सिंह ने बाद में कहा, “मैं बस अपना कर्तव्य निभा रहा था। जैसे ही मैंने खतरा महसूस किया, तुरंत कार्रवाई की।”
जसबीर सिंह पिछले 24 वर्षों से बादल परिवार के साथ सुरक्षा में तैनात हैं। 2001 में वह पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के पीएसओ बने थे और हाल ही में वह सुखबीर सिंह बादल के साथ तैनात थे। उनकी सतर्कता ने एक बड़ी घटना को टाल दिया।
हमले की पृष्ठभूमि
सुखबीर सिंह बादल हाल ही में पंजाब में शिअद सरकार (2007-2017) के दौरान की गई कथित “गलतियों” के लिए स्वर्ण मंदिर में ‘सेवादार’ के रूप में सेवा दे रहे थे। बुधवार को यह उनका दूसरा दिन था। हमले के पीछे के कारणों की जांच जारी है, लेकिन प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक, हमलावर नारायण सिंह चौरा का इरादा सुखबीर बादल की जान लेने का था।
पुलिस और प्रशासन की प्रतिक्रिया
घटना के तुरंत बाद अमृतसर के पुलिस आयुक्त गुरप्रीत सिंह भुल्लर और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने जसबीर सिंह की सतर्कता की प्रशंसा की। मुख्यमंत्री मान ने कहा, “पंजाब पुलिस ने इस घटना को विफल कर अपनी क्षमता का परिचय दिया। मैं इस बहादुरी के लिए पुलिसकर्मियों को बधाई देता हूं।”
पंजाब के विशेष पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अर्पित शुक्ला ने भी पुलिसकर्मियों की तत्परता की सराहना की। उन्होंने कहा कि स्वर्ण मंदिर में पहले से ही कड़ी सुरक्षा तैनात थी। वर्तमान में, एक सहायक पुलिस महानिरीक्षक, दो पुलिस अधीक्षक, दो पुलिस उपाधीक्षक और 175 पुलिसकर्मी वहां तैनात हैं।
घटना के बाद सुरक्षा पर सवाल
इस घटना ने स्वर्ण मंदिर जैसे संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षा उपायों पर सवाल खड़े किए हैं। इस मामले में सवाल यह उठता है कि हमलावर इतनी नजदीकी तक पहुंचने में कैसे कामयाब हुआ। हालांकि, पुलिस ने तेजी से कार्रवाई करते हुए स्थिति को संभाल लिया, लेकिन इस घटना ने भविष्य में सुरक्षा को और पुख्ता करने की जरूरत को रेखांकित किया है।
हमलावर की पहचान और पूछताछ जारी
हमलावर नारायण सिंह चौरा की मंशा क्या थी, इस पर पुलिस ने अभी कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है। चौरा को हिरासत में ले लिया गया है और उससे पूछताछ जारी है। शुरुआती जांच में यह पता चला है कि वह पहले भी आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहा है।
जनता और राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है। सुखबीर बादल के समर्थकों ने घटना की कड़ी निंदा की है और इसे जानबूझकर किया गया हमला बताया है। वहीं, आम जनता ने ASI जसबीर सिंह की बहादुरी को सलाम किया है।
सुखबीर सिंह बादल पर हुआ यह हमला पंजाब की राजनीति और सुरक्षा के लिए एक बड़ी चेतावनी है। हालांकि, ASI जसबीर सिंह की सतर्कता और पुलिस की तत्परता ने इस घटना को एक बड़ी त्रासदी में बदलने से बचा लिया। यह घटना बताती है कि सुरक्षा में कोई भी ढिलाई खतरनाक हो सकती है। अब देखना होगा कि पुलिस इस मामले में आगे क्या कदम उठाती है और क्या हमले के पीछे कोई गहरी साजिश थी।