पिछले 10 महीनों से पंजाब के शंभू बॉर्डर पर डेरा डाले बैठे किसान संगठनों ने अपनी मांगों को लेकर दिल्ली मार्च का ऐलान कर दिया है। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले यह आंदोलन चल रहा है। किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने जानकारी दी कि शुक्रवार, 6 दिसंबर को 101 किसानों का जत्था शंभू बॉर्डर से दोपहर 1 बजे दिल्ली की ओर कूच करेगा।
सरकार को चेतावनी
पंढेर ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि अगर सरकार इस मार्च को रोकती है, तो यह उनकी नैतिक जीत होगी। उन्होंने कहा, “अगर किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर नहीं जाते, तो सरकार को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। अब किसान पैदल मार्च कर रहे हैं, तो उन्हें रोकने का कोई कारण नहीं है।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार किसानों के साथ दुश्मनों जैसा व्यवहार कर रही है।
किसानों की प्रमुख मांगें
किसानों ने अपनी मांगों के समर्थन में यह मार्च आयोजित किया है। उनकी प्रमुख मांगों में शामिल हैं:
फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी।
अन्य कृषि और मजदूर हितों से जुड़े मुद्दों का समाधान।
पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर प्रदर्शन
किसान 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं। उन्होंने सरकार की ओर से अनदेखी और अपनी मांगों को लेकर आवाज उठाने के लिए दिल्ली मार्च की योजना बनाई है।
अंबाला प्रशासन और पुलिस अलर्ट
दिल्ली मार्च को लेकर अंबाला जिला प्रशासन ने बीएनएसएस की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी है। आदेश में 5 या अधिक लोगों की गैरकानूनी सभा और किसी भी प्रकार के जुलूस पर रोक लगा दी गई है।
अंबाला उपायुक्त और जिला मजिस्ट्रेट ने आदेश जारी करते हुए कहा कि बिना अनुमति किसी भी व्यक्ति या समूह को आवाजाही की अनुमति नहीं होगी।
सीमा पर बहुस्तरीय बैरिकेडिंग और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है।
पुलिस की अपील
अंबाला के पुलिस अधीक्षक सुरिंदर सिंह भोरिया ने किसानों से शांति बनाए रखने और दिल्ली मार्च के लिए अनुमति लेने की अपील की। उन्होंने कहा, “हमने कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पर्याप्त इंतजाम किए हैं। कानून का पालन करना सभी की जिम्मेदारी है।”
दिल्ली मार्च के कारण बढ़ा तनाव
आंदोलनकारियों की दिल्ली मार्च योजना के कारण हरियाणा और पंजाब में सुरक्षा स्थिति कड़ी कर दी गई है।
अंबाला प्रशासन को आशंका है कि बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी पंजाब और हरियाणा से शंभू बॉर्डर पर इकट्ठा होंगे।
आंदोलनकारियों द्वारा संसद का घेराव या दिल्ली-एनसीआर के राष्ट्रीय राजमार्गों पर स्थायी डेरा डालने की संभावना को लेकर प्रशासन सतर्क है।
किसानों का बयान
किसान नेता पंढेर ने कहा, “यह बॉर्डर अब अंतरराष्ट्रीय सीमा की तरह लग रहा है। अगर सरकार का बस चले तो वे यहां से एक चिड़िया को भी गुजरने नहीं देंगे। हम शांतिपूर्वक अपनी मांगों को लेकर दिल्ली जाना चाहते हैं। यह हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है।”
सरकार और किसानों के बीच बढ़ता टकराव
सरकार ने कानून व्यवस्था के लिए प्रतिबंध लगाए हैं, जबकि किसानों ने इन्हें लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताया है। किसान संगठन सरकार पर दबाव बनाने के लिए आंदोलन तेज कर रहे हैं। दिल्ली मार्च उनके आंदोलन का एक और बड़ा कदम है, जिसमें 101 किसानों का पहला जत्था शामिल होगा।
दिल्ली मार्च को लेकर किसान और सरकार के बीच तनावपूर्ण माहौल बन गया है। किसान शांतिपूर्ण प्रदर्शन की बात कर रहे हैं, जबकि प्रशासन कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठा रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और किसानों के बीच यह गतिरोध कैसे सुलझता है।