दिल्ली के बॉर्डर पर एक बार फिर बड़ी संख्या में किसान अपनी मांगों को लेकर जुटे हैं। पंजाब और हरियाणा के विभिन्न इलाकों से किसानों का जत्था दिल्ली की ओर बढ़ रहा है। हालांकि, हरियाणा सरकार ने बॉर्डर पर सुरक्षा बढ़ाते हुए किसानों को रोकने के प्रयास किए हैं। इस बीच, कुछ किसान संगठन दिल्ली के गाजीपुर और सिंघु बॉर्डर पर डटे हुए हैं।
दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं किसान
पंजाब के किसानों का एक बड़ा समूह शुक्रवार को शंभू बॉर्डर से दिल्ली में प्रवेश करने की कोशिश कर रहा था। लेकिन पुलिस ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के तहत उन्हें दिल्ली की सीमा पर ही रोक दिया। किसानों का कहना है कि रविवार को ‘दिल्ली आंदोलन-2’ के 300 दिन पूरे होने पर वे एक बार फिर दिल्ली की ओर कूच करेंगे।
बातचीत की संभावना
विरोध प्रदर्शन के बीच किसानों और केंद्र सरकार के बीच बातचीत की संभावना भी जताई जा रही है। कुछ किसान नेता अपनी मांगों को लेकर सरकार के प्रतिनिधियों से बातचीत कर सकते हैं। हालांकि, किसान संगठनों का आरोप है कि सरकार उनके मुद्दों को गंभीरता से नहीं ले रही है।
किसानों की प्रमुख मांगें
किसान संगठनों ने केंद्र सरकार के सामने कई मांगें रखी हैं, जिनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:
1. फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी।
2. बिजली दरों में वृद्धि न हो।
3. कर्ज माफी।
4. किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन योजना।
5. पराली जलाने पर दंडात्मक कार्रवाई का खत्म होना।
‘दिल्ली आंदोलन-2’ के 300 दिन पूरे
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि उनके विरोध प्रदर्शन ‘दिल्ली आंदोलन-2’ के 299 दिन पूरे हो गए हैं। रविवार को इसके 300 दिन पूरे होंगे। इस दौरान खनौरी बॉर्डर पर किसानों की अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल 12वें दिन में प्रवेश कर चुकी है। पंधेर ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह किसानों की मांगों पर ध्यान देने को तैयार नहीं है।
पंजाब और हरियाणा सरकारों से भी नाराजगी
किसानों का कहना है कि न केवल केंद्र सरकार, बल्कि पंजाब और हरियाणा की राज्य सरकारें भी उनकी समस्याओं का समाधान करने में विफल रही हैं। किसान मजदूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा के तहत हो रहे इस आंदोलन में सरकारों के प्रति नाराजगी साफ झलक रही है।
शुक्रवार का प्रदर्शन
शुक्रवार को पंजाब के किसानों ने संसद तक मार्च निकालने का प्रयास किया। इस दौरान उन्हें शंभू बॉर्डर पर रोक दिया गया। पुलिस प्रशासन ने दिल्ली में प्रवेश को रोकने के लिए भारी सुरक्षा व्यवस्था की थी।
आंदोलन का प्रभाव
किसानों के इस आंदोलन ने एक बार फिर केंद्र सरकार और राज्य सरकारों पर दबाव बनाया है। फसलों के एमएसपी की कानूनी गारंटी और अन्य मांगों को लेकर यह विरोध प्रदर्शन किसानों की नाराजगी का स्पष्ट संकेत है। यदि सरकार जल्द समाधान नहीं निकालती, तो यह आंदोलन और बड़ा रूप ले सकता है।