भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मंगलवार को अपना छह साल का कार्यकाल सफलतापूर्वक पूरा कर अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त हो गए। सरकार ने उनके उत्तराधिकारी के रूप में राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा को आरबीआई का 26वां गवर्नर नियुक्त किया है। इस नियुक्ति के साथ ही दास को तीसरा कार्यकाल दिए जाने की चर्चाओं पर भी विराम लग गया।
शक्तिकांत दास का कार्यकाल
शक्तिकांत दास को 12 दिसंबर 2018 को आरबीआई गवर्नर के तौर पर नियुक्त किया गया था। उन्होंने यह पद उस समय संभाला था जब उनके पूर्ववर्ती उर्जित पटेल ने अचानक इस्तीफा दे दिया था। अपने कार्यकाल के दौरान दास ने दो बार 3-3 साल का कार्यकाल पूरा किया। उन्हें वैश्विक स्तर पर ‘ग्लोबल फाइनेंस’ मैगजीन द्वारा दो बार सर्वोत्तम केंद्रीय बैंकर का खिताब भी दिया गया।
दास ने आरबीआई गवर्नर के तौर पर कई महत्वपूर्ण नीतिगत फैसले लिए। उन्होंने हाल ही में हुई मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक की अध्यक्षता की थी। बैठक के बाद उन्होंने कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने बीते कुछ वर्षों में वैश्विक अस्थिरताओं और झटकों का प्रभावी ढंग से सामना किया है।
शक्तिकांत दास ने अपने कार्यकाल में आरबीआई की चुनौतियों को सटीक ढंग से संभाला। इनमें सरप्लस ट्रांसफर विवाद और बाजार की चिंताओं को दूर करने जैसे मुद्दे शामिल रहे। उन्होंने न केवल इन समस्याओं को सफलतापूर्वक हल किया, बल्कि सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच तालमेल बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई।
कौन हैं संजय मल्होत्रा?
संजय मल्होत्रा 1990 बैच के राजस्थान कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री आईआईटी कानपुर से और मास्टर डिग्री प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से हासिल की। अपने 30 साल के करियर में उन्होंने ऊर्जा, वित्त, कराधान, आईटी और खनन जैसे विभिन्न विभागों में सेवाएं दी हैं।
नवंबर 2020 में संजय मल्होत्रा को आरईसी (रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉर्पोरेशन) का चेयरमैन और प्रबंध निदेशक नियुक्त किया गया था। इससे पहले वह ऊर्जा मंत्रालय में एडिशनल सेक्रेटरी के तौर पर भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं।
मल्होत्रा की नियुक्ति क्यों खास?
संजय मल्होत्रा को आरबीआई गवर्नर पद पर नियुक्त करने के पीछे सरकार की सोच उनके व्यापक अनुभव और वित्तीय मामलों में विशेषज्ञता को लेकर है। रिज़र्व बैंक का कामकाज केंद्रीय बोर्ड के निर्देशकों द्वारा संचालित किया जाता है। मल्होत्रा को बोर्ड का कामकाज देखने का व्यापक अनुभव है, जो इस भूमिका के लिए उन्हें उपयुक्त बनाता है।
आरबीआई गवर्नेंस का ढांचा
रिज़र्व बैंक का केंद्रीय बोर्ड आरबीआई एक्ट, 1934 के तहत गठित होता है। यह बोर्ड मुख्य रूप से दो हिस्सों में बंटा होता है:
- ऑफिशियल डायरेक्टर्स: इनमें गवर्नर और चार डिप्टी गवर्नर शामिल होते हैं।
- नॉन-ऑफिशियल डायरेक्टर्स: इनमें 10 नामित निदेशक और 2 सरकारी अधिकारी होते हैं। इसके अलावा चार क्षेत्रीय बोर्डों से चार निदेशक शामिल किए जाते हैं।
सरकार ने मल्होत्रा को गवर्नर नियुक्त कर यह सुनिश्चित किया है कि आरबीआई का नेतृत्व ऐसे व्यक्ति के हाथों में हो जो वित्तीय क्षेत्र में पारदर्शिता और कुशलता लाने के लिए प्रतिबद्ध हो।
शक्तिकांत दास का योगदान
दास ने अपने कार्यकाल में आरबीआई की कार्यप्रणाली में स्थिरता और संतुलन बनाए रखा। उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान देश की अर्थव्यवस्था को संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नोटबंदी और जीएसटी जैसे बड़े बदलावों के बाद अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में उनका योगदान सराहनीय रहा।
संजय मल्होत्रा को आरबीआई का गवर्नर नियुक्त करना एक साहसिक कदम है। उनके पास प्रशासनिक अनुभव और वित्तीय मामलों की गहरी समझ है, जो उन्हें इस भूमिका के लिए उपयुक्त बनाती है। भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में उनकी भूमिका अहम होगी। वहीं, शक्तिकांत दास का कार्यकाल केंद्रीय बैंक की दृष्टि से बेहद सफल और यादगार रहेगा।