बिहार की राजधानी पटना में मंगलवार को नए कलेक्ट्रेट भवन का शुभारंभ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया। यह बहुमंजिला आधुनिक परिसर ढाई सालों में बनकर तैयार हुआ है और गंगा नदी के किनारे ऐतिहासिक कलेक्ट्रेट घाट के सामने स्थित है। इस नए परिसर से प्रशासनिक कार्यों की शुरुआत हो गई है।
नया भवन: आधुनिकता और विरासत का संगम
नया कलेक्ट्रेट भवन पुरानी इमारतों को तोड़कर उनके स्थान पर बनाया गया है। हालांकि, इसमें डच तकनीक से निर्मित पुराने रिकॉर्ड रूम के आठ स्तंभों को संरक्षित किया गया है। इन स्तंभों को एक विशेष प्लाज़ा में प्रमुखता से प्रदर्शित किया गया है, ताकि पटना की ऐतिहासिक धरोहर को सहेजा जा सके।
नए परिसर में तीन बहुमंजिला इमारतें हैं, जिनमें आधुनिक सुविधाएं दी गई हैं। मुख्य कलेक्ट्रेट भवन में ‘जी+5’ मंजिलें और एक बेसमेंट है। शीर्ष मंजिल पर जिलाधिकारी का कार्यालय होगा। इसके अलावा, परिसर में बेसमेंट पार्किंग की भी सुविधा है।
विभागों का पुनर्वास
नए कलेक्ट्रेट परिसर में कुल 39 प्रशासनिक विभागों के कार्यालय होंगे। सभी विभाग अपने अस्थायी स्थलों से यहां स्थानांतरित होंगे। पूर्वी ब्लॉक में जिला बोर्ड का कार्यालय होगा, जबकि पश्चिमी ब्लॉक में एसडीओ और डीडीसी के कार्यालय होंगे।
पुराने कलेक्ट्रेट को लेकर विवाद
साल 2016 में बिहार सरकार ने पुराने कलेक्ट्रेट भवन को तोड़ने का प्रस्ताव रखा था। इसके बाद इसे संरक्षित करने की मांग को लेकर काफी विरोध हुआ। डच राजदूत और दिल्ली स्थित इंटैक (INTACH) जैसे संगठनों ने इसे “साझी विरासत” बताते हुए संरक्षित करने की अपील की थी। हालांकि, 2022 में पुराने भवन को तोड़ दिया गया और नया निर्माण शुरू किया गया।
आधुनिक सुविधाएं और उद्देश्य
यह नया भवन न केवल प्रशासनिक जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि पटना की विरासत और आधुनिकता का संगम भी प्रस्तुत करेगा। भवन में तीन ऊंची इमारतों के साथ-साथ बेसमेंट पार्किंग और अन्य आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं।
पटना का यह नया कलेक्ट्रेट परिसर शहर की प्रशासनिक व्यवस्था को अधिक कुशल बनाने के साथ-साथ ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित रखने का प्रतीक भी है। इस परियोजना के माध्यम से सरकार ने आधुनिक तकनीक और पुरानी विरासत के बीच एक संतुलन स्थापित करने का प्रयास किया है।