महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है। देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री पद की कमान संभाल चुके हैं, लेकिन विपक्ष ईवीएम गड़बड़ी के मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख करने की तैयारी में है। इस बीच, विपक्षी दलों में अस्थिरता की खबरों ने उनकी टेंशन बढ़ा दी है।
‘ऑपरेशन लोटस’ की चर्चा जोरों पर
महाराष्ट्र बीजेपी अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने दावा किया है कि महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के कई सांसद और विधायक अपनी-अपनी पार्टियों से नाराज हैं और बीजेपी के संपर्क में हैं। बावनकुले ने कहा कि एमवीए के नेता बीजेपी के ‘विकसित भारत विजन’ से प्रभावित हैं और इसमें शामिल होने की इच्छा जता रहे हैं।
कांग्रेस और एनसीपी शरद गुट ने दावों को नकारा
कांग्रेस ने इन दावों को सिरे से खारिज कर दिया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि, “बीजेपी का यह दावा जवाब देने लायक भी नहीं है। कांग्रेस का कोई भी विधायक या सांसद पार्टी छोड़ने वाला नहीं है।” उन्होंने यह भी कहा कि आगामी शीतकालीन सत्र में कांग्रेस महायुति की वास्तविक स्थिति सबके सामने रखेगी।
एनसीपी के शरद पवार गुट ने भी बीजेपी के दावों को खारिज किया है। पार्टी की नेता विद्या चव्हाण ने कहा, “बीजेपी की केंद्र सरकार कमजोर गठबंधन के डर से विपक्षी दलों के सांसदों पर नजर रख रही है। लेकिन हमारे नेता मजबूती से गठबंधन के साथ हैं।”
इंडिया गठबंधन की बैठक और रणनीति
ईवीएम गड़बड़ी के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए मंगलवार (10 दिसंबर) को शरद पवार के दिल्ली स्थित आवास पर विपक्षी दलों की बैठक हुई थी। लेकिन इस बैठक के अगले ही दिन बीजेपी द्वारा एमवीए नेताओं के टूटने की संभावना जताने से विपक्षी खेमे में बेचैनी बढ़ गई है। विपक्षी दलों का कहना है कि बीजेपी इन अफवाहों के जरिए विपक्ष को कमजोर दिखाने की कोशिश कर रही है।
शीतकालीन सत्र में गर्मा सकता है माहौल
महाराष्ट्र विधानसभा का शीतकालीन सत्र नागपुर में आयोजित होने वाला है, जहां कांग्रेस और एनसीपी ने सरकार को घेरने की तैयारी कर ली है। विपक्ष महायुति सरकार की स्थिति को उजागर करने और ईवीएम गड़बड़ी जैसे मुद्दों पर सरकार को सवालों के घेरे में लाने का प्रयास करेगा।
बीजेपी का आत्मविश्वास और विपक्ष की चुनौती
बीजेपी का दावा है कि एमवीए के नेता उनकी पार्टी में शामिल हो सकते हैं, जिससे उनकी ताकत बढ़ेगी। वहीं, विपक्ष का कहना है कि उनके नेता गठबंधन के साथ मजबूती से खड़े हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी के इस दावे का महाराष्ट्र की सियासत पर क्या असर पड़ता है और विपक्ष इस चुनौती का कैसे सामना करता है।
महाराष्ट्र की राजनीति में जारी आरोप-प्रत्यारोप ने माहौल को और गर्मा दिया है। जहां बीजेपी ने विपक्षी खेमे में टूट की संभावना जताई है, वहीं एमवीए के नेताओं ने इन दावों को खारिज कर दिया है। अब निगाहें आगामी शीतकालीन सत्र और सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम गड़बड़ी के मुद्दे पर टिकी हैं, जो इस सियासी लड़ाई का अगला मोर्चा साबित हो सकता है।