लोकसभा में सोमवार, 15 दिसंबर को ‘वन नेशन वन इलेक्शन बिल’ पेश होने वाला था, लेकिन अब यह बिल संसद के इस सत्र में पेश नहीं होगा। हाल ही में लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी की गई संशोधित कार्यसूची से इस बिल को हटा दिया गया है। पहले कार्यसूची में इसे सोमवार को लोकसभा में पेश किए जाने की बात कही गई थी, लेकिन अब यह बिल सोमवार को नहीं आएगा। इस बदलाव के कारण अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि सरकार ने सोमवार को यह बिल क्यों पेश नहीं करने का फैसला लिया और अब यह बिल कब पेश किया जाएगा।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, सरकार ने यह निर्णय लिया है कि पहले लोकसभा में वित्तीय अनुदान से संबंधित कामकाज को निपटाया जाएगा और उसके बाद ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ से संबंधित विधेयकों को पेश किया जाएगा। इस दौरान सोमवार को पेश किए जाने वाले दो अन्य विधेयकों – संविधान (129वां संशोधन) विधेयक और संघ राज्यक्षेत्र विधि (संशोधन) विधेयक – भी लोकसभा में पेश नहीं किए जाएंगे। यह दोनों विधेयक पहले से ही सूचीबद्ध थे, लेकिन अब इन्हें संशोधित कार्यसूची से हटा लिया गया है।
सरकार के सूत्रों के मुताबिक, इन विधेयकों को सोमवार को पेश किए जाने की योजना थी, लेकिन अब वित्तीय अनुदान संबंधी कामकाज पूरा करने के बाद इन्हें बाद में पेश किया जा सकता है। लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी किए गए संशोधित कार्यसूची में ये विधेयक शामिल नहीं हैं। हालांकि, यदि सरकार चाहती है, तो लोकसभा अध्यक्ष की अनुमति से अंतिम समय में “अनुपूरक कार्य सूची” के माध्यम से विधायी एजेंडा पेश कर सकती है।
‘वन नेशन वन इलेक्शन’ से संबंधित विधेयकों को लेकर यह स्थिति महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह प्रस्ताव देश में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराने से संबंधित है। इस विषय पर कई बार चर्चा हो चुकी है और सरकार इस विषय पर एक विधायी समाधान लाने के लिए प्रतिबद्ध है। इससे पहले, भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था, जो इस मुद्दे पर सिफारिशें तैयार कर रही थी। यह समिति 2 सितंबर 2023 को गठित हुई थी और समिति ने 14 मार्च 2024 को राष्ट्रपति को अपनी सिफारिशें सौंपी थीं।
कोविंद समिति ने अपनी सिफारिशों में कहा था कि लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराने की योजना पर विचार किया जाए। इसके साथ ही, समिति ने स्थानीय निकाय चुनावों को भी एक साथ कराने की सिफारिश की थी। समिति के अनुसार, पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने का प्रस्ताव था और इसके बाद 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराने की सिफारिश की गई थी।
‘वन नेशन वन इलेक्शन’ का मुद्दा पहले भी चर्चा में रहा है, और यह प्रस्ताव भारतीय लोकतंत्र की चुनावी प्रक्रिया को बदलने की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है। यह एक बड़ा राजनीतिक और प्रशासनिक बदलाव होगा, जिसमें देशभर में एक साथ चुनावों का आयोजन किया जाएगा, जिससे चुनावी प्रक्रिया को अधिक सरल और कम खर्चीला बनाया जा सके। हालांकि, इस विधेयक को लेकर कुछ विरोध भी है, खासकर विपक्षी दलों से, जो इसे केंद्र सरकार की राजनीति को मजबूत करने का एक तरीका मानते हैं।
भारत में चुनावों के समय पर किए जाने वाले खर्च, चुनावी सुरक्षा, और चुनावी प्रक्रिया को लेकर कई तरह के सवाल उठते रहे हैं। एक साथ चुनाव कराने से चुनावी खर्च में कमी आने की संभावना है, लेकिन इसके साथ ही, चुनावों को समयबद्ध और व्यवस्थित तरीके से आयोजित करना भी एक बड़ी चुनौती होगी।
लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने से संबंधित विधेयक अब आने वाले दिनों में पेश किए जा सकते हैं। संसद का शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर 2024 को समाप्त होगा, और यह संभावना जताई जा रही है कि इस सत्र के दौरान सरकार इन विधेयकों को पेश करेगी।
इस बदलाव के बावजूद, एक साथ चुनाव कराने का मुद्दा देश की राजनीति में एक प्रमुख मुद्दा बना हुआ है, और इससे जुड़ी आगे की प्रक्रिया पर भी देशभर की निगाहें लगी हुई हैं।