
परिसीमन (Delimitation) को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि अगर किसी राज्य का संसद में प्रतिनिधित्व घटता है, तो यह स्वाभाविक रूप से चिंता का विषय बन जाता है।
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पंजाब और अन्य राज्यों के लिए चिंता
संजय सिंह ने कहा कि परिसीमन के बाद पंजाब की लोकसभा सीटें बढ़ सकती हैं, लेकिन संसद में उसका प्रतिनिधित्व प्रतिशत कम हो जाएगा। यानी पंजाब की कुल सीटें तो बढ़ेंगी, लेकिन पूरे देश में उसकी भागीदारी पहले से कम हो जाएगी।
उन्होंने यह भी कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन को इस मुद्दे पर चिंतित होने की जरूरत है। केवल पंजाब ही नहीं, बल्कि दक्षिण भारत और अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी इस फैसले पर ध्यान देना चाहिए।
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क्या है विवाद?
परिसीमन एक प्रक्रिया है, जिसमें जनसंख्या के आधार पर लोकसभा और विधानसभा सीटों का पुनर्गठन किया जाता है। इसे 2026 में लागू किया जाना है, लेकिन कई राज्य इसके खिलाफ हैं। दक्षिण भारत के राज्य और पंजाब, जहां जनसंख्या नियंत्रण को लेकर बेहतर काम हुआ है, वहां इस बदलाव से सीटों की हिस्सेदारी घट सकती है।
राज्यों का कहना है कि परिसीमन का आधार सिर्फ जनसंख्या नहीं होना चाहिए, बल्कि क्षेत्रफल, विकास और अन्य मानकों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।
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संजय सिंह ने स्पष्ट किया कि परिसीमन को लेकर राज्यों के मुख्यमंत्रियों को चिंता करने की जरूरत है, क्योंकि इससे उनके राज्यों का संसद में प्रभाव कम हो सकता है। अब देखना यह होगा कि आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर विपक्षी दलों की क्या रणनीति होगी।