
पंजाब की भगवंत मान सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक और सख्त कदम उठाते हुए अपनी ही पार्टी के विधायक रमन अरोड़ा को गिरफ्तार कर लिया है। जालंधर सेंट्रल से विधायक अरोड़ा के घर विजिलेंस टीम ने सुबह रेड डाली और सात घंटे की पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
विजिलेंस विभाग की टीम ने रमन अरोड़ा के जालंधर स्थित अशोक नगर के घर सुबह करीब सवा 9 बजे छापा मारा। उस समय विधायक कहीं बाहर जा रहे थे, लेकिन टीम ने उन्हें पास के एक मंदिर के मोड़ से हिरासत में ले लिया और फिर उन्हें घर ले जाकर तलाशी ली गई। तलाशी के दौरान कई अहम दस्तावेज मिले, जिनके आधार पर उन्हें गिरफ्तार किया गया।
सूत्रों के मुताबिक, रमन अरोड़ा पर आरोप है कि उन्होंने नगर निगम अधिकारियों के जरिए शहर के आम नागरिकों को झूठे नोटिस भेजवाए और फिर पैसे लेकर वे नोटिस रद्द करवाए जाते थे। इन शिकायतों की जानकारी सीधे मुख्यमंत्री के शिकायत पोर्टल पर पहुंची थी, जिसके बाद कार्रवाई तेज हुई।
गिरफ्तारी के समय रमन अरोड़ा के घर के बाहर भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। विजिलेंस टीम ने घर को पूरी तरह सील कर दिया और उनके वकीलों को भी अंदर नहीं जाने दिया गया। रमन अरोड़ा के वकील संजू शर्मा और विजय भूषण महिता मौके पर पहुंचे लेकिन उन्हें अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई।
विजिलेंस के अनुसार, यह मामला तब उजागर हुआ जब कुछ दिन पहले नगर निगम के बिल्डिंग ब्रांच के अधिकारी एटीपी सुखदेव वशिष्ठ को गिरफ्तार किया गया। जांच के दौरान उनके और विधायक अरोड़ा के बीच की मिलीभगत सामने आई। लगभग एक महीने तक दस्तावेज और सबूत जुटाए गए, और फिर यह कार्रवाई की गई।
कुछ दिनों पहले ही रमन अरोड़ा से सरकारी सुरक्षा भी वापस ले ली गई थी। उन्होंने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि वे आम आदमी पार्टी के वर्कर हैं और अगर सरकार को ऐसा करना सही लगा, तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।
बताया जा रहा है कि रमन अरोड़ा पर लगे आरोपों की पुष्टि कई शिकायतों से हुई है। आरोप है कि वह नगर निगम अधिकारियों से मिलकर लोगों को परेशान करने के लिए फर्जी नोटिस भिजवाते थे और फिर उनसे पैसे लेकर उन नोटिसों को खत्म करवाते थे।
सरकार का कहना है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई गई है और चाहे कोई भी व्यक्ति हो, अगर वह गलत काम में शामिल पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
यह मामला सिर्फ एक विधायक की गिरफ्तारी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह संदेश देता है कि भ्रष्टाचार को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा – फिर चाहे आरोपी किसी भी पद पर क्यों न हो।