उद्योगपति गौतम अडानी के लिए मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अमेरिका में हुए घूसकांड के बाद से अडानी समूह को लगातार बुरी खबरें मिल रही हैं। अब ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने अडानी की 7 कंपनियों की रेटिंग आउटलुक को घटाकर निगेटिव कर दिया है। यह कदम अडानी समूह की कंपनियों के लिए एक और बड़ा झटका साबित हो सकता है।
मूडीज ने 7 कंपनियों की रेटिंग घटाई
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, मूडीज ने अडानी समूह की 7 कंपनियों के आउटलुक को स्टेबल से बदलकर निगेटिव कर दिया है। यह बदलाव अमेरिका में हुए घूसकांड के बाद किया गया, जो कि अडानी समूह के लिए एक गंभीर मुद्दा बन गया था। इन कंपनियों में अडानी ग्रीन, अडानी पोर्ट्स, अडानी ट्रांसमिशन, अडानी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई लिमिटेड, अडानी इंटरनेशनल कंटेनर टर्मिनल, और अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल एकोनॉमिक्स जोन लिमिटेड शामिल हैं। अडानी ग्रीन और अडानी ट्रांसमिशन की दो-दो इकाइयों की रेटिंग में बदलाव किया गया है।
US कोर्ट के फैसले का असर
अमेरिका में रिश्वतखोरी के मामले के बाद अडानी समूह को लगातार झटके लग रहे हैं। फिच रेटिंग एजेंसी ने भी अडानी समूह की चार कंपनियों की रेटिंग आउटलुक को घटाकर निगेटिव कर दिया है। फिच ने अडानी पोर्ट्स की रेटिंग को BBB- कर दिया, और इसके पीछे कॉरपोरेट गवर्नेंस रिस्क और विदेशी पूंजी जुटाने में आने वाली कठिनाइयों को वजह बताया गया। फिच का मानना है कि बढ़ते कॉरपोरेट गवर्नेंस रिस्क के कारण इन कंपनियों की फंडिंग एक्सेस और लिक्विडिटी पर असर पड़ सकता है।
अडानी के शेयरों में भारी गिरावट
मूडीज और फिच की रेटिंग में बदलाव के बाद अडानी समूह के शेयरों में भारी बिकवाली देखने को मिली। अडानी ग्रीन एनर्जी के शेयरों में 8% की गिरावट आई और यह ₹893 पर पहुंच गए, जो इसका नया 52 सप्ताह का लो लेवल था। अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस के शेयर 5% और अडानी टोटल गैस के शेयर 3% तक गिरे। इसके अलावा, समूह की प्रमुख कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज के शेयर भी 2% से अधिक टूटे, जबकि अडानी पोर्ट्स, अडानी पावर, और अडानी विल्मर के शेयरों में 2% से 3% की गिरावट आई।
अडानी समूह की बढ़ती मुश्किलें
अडानी समूह के लिए आने वाले समय में यह एक कठिन दौर हो सकता है। अमेरिका में घूसकांड के बाद कंपनी के खिलाफ चल रही जांच और रेटिंग एजेंसियों की निगेटिव रिपोर्ट्स ने समूह के निवेशकों में चिंता बढ़ा दी है। अडानी समूह के लिए अगला कदम इन कठिनाइयों से उबरने और वित्तीय स्थिति को स्थिर करने का होगा, क्योंकि इन घटनाओं का प्रभाव उनकी कंपनियों और उनके शेयरों पर भी दिखाई दे रहा है।