
भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए सीजफायर समझौते और पहलगाम आतंकी हमले के बाद देश की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेताओं ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर अपील की है कि देश में घट रही अहम घटनाओं पर विस्तृत चर्चा के लिए तुरंत संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए।
राहुल गांधी ने उठाई सशक्त विपक्ष की आवाज़
राहुल गांधी ने पीएम मोदी को भेजी चिट्ठी में लिखा, “मैं विपक्ष की सर्वसम्मति से की गई अपील को दोहराते हुए आग्रह करता हूं कि पहलगाम आतंकी हमला, ऑपरेशन सिंदूर और सीजफायर समझौते जैसे मुद्दों पर चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र तुरंत बुलाया जाए।”
राहुल ने यह भी कहा कि यह विशेष सत्र न केवल जनता के लिए ज़रूरी होगा, बल्कि यह देश के प्रतिनिधियों को भी मौजूदा हालात पर खुलकर चर्चा करने का अवसर देगा। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि सीजफायर की घोषणा सबसे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने की थी, ऐसे में यह मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी गंभीरता से देखा जा रहा है।
राहुल गांधी ने पीएम से उम्मीद जताई कि वे इस संवेदनशील मांग पर गंभीरता से विचार करेंगे और देशहित में जल्द निर्णय लेंगे।
मल्लिकार्जुन खरगे ने दोबारा किया अनुरोध
कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने भी पीएम मोदी को अलग से पत्र लिखा है। उन्होंने याद दिलाया कि 28 अप्रैल 2025 को भी लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेताओं ने मिलकर पहलगाम हमले के बाद संसद का विशेष सत्र बुलाने की अपील की थी।
अब जबकि ऑपरेशन सिंदूर पूरा हो चुका है और भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर की औपचारिक घोषणा हो गई है, तो एक बार फिर सभी विपक्षी दल एकमत होकर इस मांग को उठा रहे हैं। खरगे ने कहा कि राज्यसभा में विपक्ष के नेता होने के नाते वह इस सामूहिक अपील को प्रधानमंत्री तक पहुंचा रहे हैं।
संसद में बहस की जरूरत क्यों?
राहुल गांधी और खरगे का मानना है कि इस समय देश कई अहम सुरक्षा और विदेश नीति से जुड़े मुद्दों से गुजर रहा है। ऐसे में संसद में इन पर चर्चा न होना जनता के अधिकारों का हनन होगा। एक विशेष सत्र के ज़रिए देश की सामूहिक सोच और रणनीति को मज़बूत किया जा सकता है।
अब आगे क्या?
अब देखना यह होगा कि केंद्र सरकार विपक्ष की इस मांग पर क्या प्रतिक्रिया देती है। क्या संसद का विशेष सत्र बुलाया जाएगा या नहीं, यह आने वाले दिनों में साफ हो जाएगा। लेकिन इतना तय है कि देश की सुरक्षा और रणनीतिक मामलों पर अब संसद में खुलकर चर्चा की मांग जोर पकड़ती जा रही है।