पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर को दिल्ली के एएमएस अस्पताल में निधन हो गया। वह 92 वर्ष के थे। डॉ. सिंह 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे और उनकी नीति तथा नेतृत्व ने देश की आर्थिक दिशा में महत्वपूर्ण बदलाव किए। उनका अंतिम संस्कार निगमबोध घाट पर सरकारी सम्मान के साथ किया गया। इस दौरान उनका परिवार और करीबी लोग मौजूद थे।
डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के बाद, सरकार ने उनकी यादगार बनाने की घोषणा की है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में डॉ. मनमोहन सिंह की यादगार स्थापित करने का निर्णय लिया है। इस बारे में उनके परिवार को पहले ही सूचित कर दिया गया है और परिवार ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। बताया जा रहा है कि अगले 3-4 दिनों में इस यादगार के स्थान पर निर्णय लिया जाएगा।
कांग्रेस पार्टी ने भी इस मुद्दे को लेकर सरकार से आग्रह किया था। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से डॉ. मनमोहन सिंह की यादगार बनाने के लिए बातचीत की थी। खड़गे ने इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र भी लिखा था। उन्होंने यह अनुरोध किया था कि डॉ. मनमोहन सिंह की अंतिम यात्रा और उनकी यादगार के लिए उपयुक्त स्थान सुनिश्चित किया जाए।
कांग्रेस पार्टी ने कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार और उनकी यादगार के लिए जगह का चयन न होना देश के पहले सिख प्रधानमंत्री के साथ जानबूझकर अपमान है। पार्टी ने इस मुद्दे को उठाते हुए यह भी कहा कि यह राष्ट्रीय सम्मान की कमी का प्रतीक है।
इससे पहले, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने घोषणा की थी कि डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार 30 दिसंबर को दिल्ली के निगमबोध घाट पर सरकारी सम्मान के साथ किया जाएगा। डॉ. सिंह के निधन के बाद, उनकी नीति और कार्यकाल को लेकर कई राजनीतिक नेताओं और विशेषज्ञों ने उनके योगदान की सराहना की।
कांग्रेस पार्टी और उनके समर्थकों के लिए यह एक भावनात्मक क्षण है, और अब सरकार द्वारा उनकी यादगार बनाने का निर्णय डॉ. सिंह की विरासत को सम्मान देने की दिशा में एक कदम है।