
अमेरिकी वायुसेना के बी‑2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर्स द्वारा ईरान के तीन परमाणु संयंत्रों — फ़ोर्डो, नतांज, और इस्फहान — पर हमले के बाद, ईरान की परमाणु ऊर्जा संस्था (AEOI) ने रविवार को एक आधिकारिक बयान जारी कर पूरी देश को आश्वस्त किया कि इन आपराधिक हमलों से उनकी न्यूक्लियर साइट्स सुरक्षित हैं और किसी भी जगह रेडिएशन लीक का पता नहीं चला।
1. परमाणु साइट्स अब भी सुरक्षित
ईरानी आधिकारिक मीडिया के हवाले से AEOI ने कहा है कि सुरक्षा जांच में रेडिएशन लीक या किसी तरह का भौतिक नुकसान नहीं पाया गया। वेबसाइट्स और जांच रिपोर्टों के अनुसार संयंत्रों की संरचनाएं भी पूर्ण रूप से सुरक्षित हैं।
2. परमाणु कार्यक्रम जारी रहेगा
AEOI ने स्पष्ट किया है कि इस ‘नेशनल इंडस्ट्री’ को यह हमले बाधित नहीं कर पाएंगे—उनका परमाणु कार्यक्रम अपने निर्धारित मार्ग पर जारी रहेगा। संयंत्रों को वैश्विक परमाणु सिद्धांतों और अंतरराष्ट्रीय संधियों के तहत संचालित किया जाता है, और यह कदम इसे प्रभावित नहीं कर पाएगा।
3. अमेरिका पर अंतरराष्ट्रीय कानून उल्लंघन का आरोप
ईरानी परमाणु एजेंसी ने इन हमलों को “अंतरराष्ट्रीय कानूनों का स्पष्ट उल्लंघन” बताया है। उन्होंने कहा है कि वे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कानूनी कार्रवाई लेकर आने की प्रक्रिया में हैं और जल्द ही इस मामले को न्यायिक रूप से उठाया जाएगा।
4. वैश्विक प्रतिक्रिया – समर्थन और निंदा की अपील
AEOI ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि वह इन हमलों की निंदा करे और ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु विकास के अधिकार को मान्यता दे। इससे स्पष्ट है कि ईरान इसे सिर्फ एक सैन्य हमला नहीं, बल्कि राजनयिक और कानूनी मोर्चे पर एक बड़ा मुद्दा मान रहा है।
अमेरिका की कार्रवाई के मुख्य तथ्य
रविवार सुबह भारतीय समयानुसार
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अमेरिकी वायुसेना ने बी-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर्स का इस्तेमाल करके एक बड़ी रणनीतिक कार्रवाई अमल में लाई।
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निशाने पर थे:
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फ़ोर्डो – ईरान के परमाणु कार्यक्रम के सबसे संवेदनशील केंद्रों में से एक।
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नतांज – परमाणु ईंधन सघनता के क्षेत्र।
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इस्फहान – भारी पानी उत्पादन संयंत्र।
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अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने इसे “बेहद सफल ऑपरेशन” बताया और दावा किया कि फ़ोर्डो संयंत्र “पूरी तरह बर्बाद” कर दिया गया है।
ताज़ा स्थिति और आगे का रास्ता
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ईरानी जवाबी लड़खड़ाहट: पहली प्रतिक्रिया में विमानिक ठिकानों की रक्षा की बात की गई है, पर भविष्य में प्रतिशोध की आंशका जताई जा रही है।
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वैश्विक चर्चा: किसान संगठन, यूरोपीय देश और संयुक्त राष्ट्र के कुछ सदस्य पहले ही इस फैसले पर आलोचनात्मक रुख अपना चुके हैं। जबकि अन्य राष्ट्र सुरक्षा और गैर-विकास परमाणु गतिविधियों को लेकर अमेरिका के कदम का समर्थन कर रहे हैं।
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संभावित तनाव: इस घटना के नतीजे क्षेत्रीय सुरक्षा पर उथल-पुथल ला सकते हैं और मध्य-पूर्व में तनाव की एक नई लहर पैदा कर सकते हैं।
अमेरिका द्वारा ईरानी परमाणु ठिकानों पर हमले ने क्षेत्रीय और वैश्विक राजनीति को एक नए दौर में पहुंचा दिया है। ईरान द्वारा सुरक्षा सलाह और निंदा जारी की गई है, और अमेरिका ने यह दावा कर दिया है कि रणनीतिक ढंग से उन्होंने परमाणु निषेध की दिशा में कदम रखा है।
आगे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ईरान का कानूनी प्रतिवाद, संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रिया, और अमेरिका-ईरान के ऐतिहासिक तनाव को देखने की आवश्यकता होगी। यह पता करना भी दिलचस्प होगा कि क्या यह घटनाक्रम वैश्विक शांति प्रयासों के लिए ब्रेकपॉइंट साबित होगा, या नई कूटनीतिक प्रक्रिया को जन्म देगा।