भारत में वायु प्रदूषण की स्थिति बेहद गंभीर हो गई है, खासकर राजधानी दिल्ली में, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 382 के स्तर पर पहुंच गया है, जो “बहुत खराब” श्रेणी में आता है। इसके बाद हरियाणा का बहादुरगढ़ (AQI 333), राजस्थान का श्रीगंगानगर (AQI 317), उत्तर प्रदेश का नोएडा (AQI 313) और फिर से हरियाणा का सोनीपत (AQI 312) है। इन सभी शहरों में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब है।
दिल्ली-एनसीआर के साथ-साथ पूरे देश के 44 शहरों की हवा खराब स्थिति में है, जबकि 121 शहरों का वायु गुणवत्ता स्तर किसी तरह सांस लेने लायक है। हाल के दिनों में प्रदूषण के बढ़ते स्तर ने लोगों को चिंतित कर दिया है।
प्रदूषण की स्थिति और आंकड़े
वर्तमान में, विभिन्न शहरों के AQI स्तर निम्नलिखित हैं:
- दिल्ली – AQI 382 (बहुत खराब)
- बहादुरगढ़, हरियाणा – AQI 333 (बहुत खराब)
- श्रीगंगानगर, राजस्थान – AQI 317 (बहुत खराब)
- नोएडा, उत्तर प्रदेश – AQI 313 (बहुत खराब)
- सोनीपत, हरियाणा – AQI 312 (बहुत खराब)
इसके अलावा, कई अन्य शहर जैसे भिवानी, गाजियाबाद, करनाल, और मुजफ्फरनगर का AQI भी 290 के आसपास है, जो “खराब” श्रेणी में आता है।
एनसीआर में उठाए गए कदम
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ग्रैप (ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान) 15 अक्टूबर से लागू किया गया है। इस योजना के अंतर्गत:
- 7000 से अधिक निर्माण कार्यों पर पर्यावरण मुआवजा लगाया गया है और 56 को काम बंद करने के आदेश दिए गए हैं।
- सड़क की धूल को नियंत्रित करने के लिए मैकेनिकल रोड स्वीपिंग मशीन (MRSMs), वॉटर स्प्रिंकलर और एंटी-स्मॉग गन (ASGs) की तैनाती की गई है। अकेले दिल्ली में प्रतिदिन औसतन 81 MRSM तैनात किए जा रहे हैं।
- पीयूसी (प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र) न रखने वाले वाहनों के खिलाफ विशेष अभियान चलाया गया है, जिसमें लगभग 54,000 वाहनों का चालान किया गया है और 3900 अधिक उम्र के वाहनों को जब्त किया गया है।
लोगों की स्वास्थ्य पर प्रभाव
इस गंभीर वायु प्रदूषण का प्रभाव लोगों की स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है। विशेषकर बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा जैसी बीमारियों से ग्रसित व्यक्तियों के लिए यह बेहद खतरनाक है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि लंबे समय तक ऐसी स्थिति रहने पर सांस संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं।
इस प्रकार, भारत में वायु प्रदूषण की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। सरकार और स्थानीय निकायों द्वारा उठाए गए कदम स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक हैं, लेकिन इसके साथ ही लोगों को भी प्रदूषण को कम करने के उपायों में सक्रिय रूप से भाग लेना होगा। यदि प्रदूषण का स्तर इसी तरह बढ़ता रहा, तो इसके दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभावों से बचना मुश्किल हो जाएगा।