जैसे-जैसे ठंड की दस्तक हो रही है, दिल्ली एक बार फिर वायु प्रदूषण की गिरफ्त में आ गई है। राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लगातार खतरनाक स्तर पर पहुंच रहा है, जिससे लोगों का सांस लेना मुश्किल हो रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, सोमवार को दिल्ली का औसत AQI 346 दर्ज किया गया, जो “बहुत खराब” श्रेणी में आता है। दिल्ली-एनसीआर के क्षेत्रों में भी यही हालात हैं, जहां हवा की गुणवत्ता में निरंतर गिरावट दर्ज की जा रही है।
दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण के लिए ड्रोन से पानी का छिड़काव
प्रदूषण पर काबू पाने के लिए दिल्ली सरकार ने नई पहल करते हुए शुक्रवार को आनंद विहार में ड्रोन के माध्यम से पानी का छिड़काव किया। आनंद विहार दिल्ली के सबसे प्रदूषित इलाकों में से एक है, और इस परीक्षण का उद्देश्य वहां के AQI को सुधारना है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि यदि इस परीक्षण से सकारात्मक परिणाम मिले तो और अधिक ड्रोन खरीदे जाएंगे।
शहर में वर्तमान में 200 से अधिक “एंटी-स्मॉग गन” तैनात हैं, जिनका उपयोग सड़कों पर धूल कम करने के लिए पानी का छिड़काव करने में हो रहा है। इसके अलावा, 146 एंटी-स्मॉग गन ऊंची इमारतों पर लगाई गई हैं ताकि हवा में धूल के कणों को कम किया जा सके।
बढ़ती स्वास्थ्य समस्याएं और विशेषज्ञों की सलाह
वायु प्रदूषण के इस स्तर ने लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाला है। खासतौर से बच्चों और बुजुर्गों में सांस से जुड़ी समस्याएं बढ़ गई हैं। दिल्ली के अस्पतालों में पिछले दिनों सांस संबंधी मामलों में 30 से 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण का असर अधिकतर कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों पर पड़ता है, और उन्होंने सलाह दी है कि लोग घर के भीतर ही रहें और बाहरी धूल से दूर रहें।
पराली जलाना बना दिल्ली के प्रदूषण का प्रमुख कारण
प्रत्येक वर्ष की तरह इस बार भी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के लिए हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने को एक बड़ी वजह बताया जा रहा है। अक्टूबर-नवंबर के दौरान कटाई के बाद पराली जलाने से हवा में प्रदूषक तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों की हवा जहरीली हो जाती है। पुलिस ने हाल ही में पराली जलाने के आरोप में कुछ किसानों को गिरफ्तार किया था, जिन्हें बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया।
हालांकि सरकारें पराली जलाने की समस्या का हल ढूंढने का प्रयास कर रही हैं, लेकिन इसका ठोस समाधान अभी तक नहीं निकल पाया है।
प्रदूषण पर नियंत्रण के प्रयास: क्या हैं विकल्प?
दिल्ली में प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए विभिन्न उपाय किए जा रहे हैं। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) लगातार मॉनिटरिंग कर रही है और जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त संसाधन जुटाने की योजना बनाई जा रही है। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि यदि ड्रोन से छिड़काव का परीक्षण सफल रहा तो DPCC और ड्रोन खरीदने के लिए औपचारिक निविदाएं जारी करेगी।
इसके अलावा दिल्ली सरकार “रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ” अभियान भी चला रही है, जिसमें लोगों को ट्रैफिक सिग्नल पर गाड़ी बंद करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है ताकि वायु में धुएं का स्तर कम किया जा सके।
प्रदूषण नियंत्रण के लिए जन जागरूकता आवश्यक
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार के साथ-साथ आम नागरिकों की भागीदारी भी बेहद जरूरी है। दिल्ली जैसे महानगर में लाखों वाहनों से निकलने वाला धुआं भी प्रदूषण का एक बड़ा कारण है। सरकार ने लोगों से अपील की है कि वे कार पूलिंग, सार्वजनिक परिवहन का अधिक से अधिक उपयोग करें, और निजी वाहनों का इस्तेमाल कम से कम करें।
वायु प्रदूषण का बढ़ता स्तर दिल्ली के लोगों के लिए एक गंभीर खतरा बन गया है। प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली सरकार नए-नए उपाय अपना रही है, लेकिन समस्या का स्थायी समाधान तभी संभव है जब नागरिक भी अपनी जिम्मेदारी समझें।