भारतीय शेयर बाजार में एक अभूतपूर्व घटना देखने को मिली, जिसमें स्मॉलकैप स्टॉक एल्सिड इन्वेस्टमेंट्स ने ऐतिहासिक छलांग लगाई। इसने केवल एक दिन में इतनी ऊंचाई छू ली कि वह भारत का सबसे महंगा शेयर बन गया, इसने एमआरएफ के 1.2 लाख रुपये के शेयर मूल्य को पीछे छोड़ दिया। मंगलवार, 29 अक्टूबर को, एल्सिड इन्वेस्टमेंट्स का शेयर मूल्य 3.53 रुपये से बढ़कर 2,36,250 रुपये हो गया, जो एक ही दिन में 66,92,535 फीसदी का उछाल है। भारतीय शेयर बाजार के इतिहास में किसी भी शेयर में इतना बड़ा उछाल कभी नहीं देखा गया। इस ऐतिहासिक छलांग के बाद एल्सिड इन्वेस्टमेंट्स ने देश के सबसे महंगे शेयर का खिताब अपने नाम कर लिया।
दलाल स्ट्रीट पर इतिहास रचा
एल्सिड इन्वेस्टमेंट्स के शेयर में इस असाधारण बढ़ोतरी ने दलाल स्ट्रीट पर इतिहास रच दिया है। अब तक एमआरएफ भारतीय बाजार का सबसे महंगा शेयर माना जाता था, लेकिन एल्सिड ने एक दिन में ही इसे पीछे छोड़ दिया। एल्सिड का शेयर मूल्य 3 रुपये से भी कम का था, लेकिन बुक वैल्यू की वजह से इसमें इतनी तेज वृद्धि दर्ज की गई। दरअसल, कंपनी की बुक वैल्यू 5,85,225 रुपये थी, जो मौजूदा शेयर मूल्य की तुलना में काफी अधिक थी। बुक वैल्यू इतनी ऊंची होने की वजह से इसे निवेशकों ने खरीदने के बजाय होल्ड किया हुआ था और इसका ट्रेडिंग वॉल्यूम काफी कम रहा है।
एल्सिड इन्वेस्टमेंट्स का मामला क्यों है अनोखा
एल्सिड इन्वेस्टमेंट्स का मामला इसलिए भी अनोखा है क्योंकि इसका मूल्य निवेशकों की खरीदी के चलते नहीं बढ़ा, बल्कि स्टॉक एक्सचेंज द्वारा आयोजित एक स्पेशल कॉल ऑक्शन के कारण इसमें इतनी बढ़त हुई है। भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों ने एल्सिड जैसे निवेश होल्डिंग कंपनियों के लिए स्पेशल ऑक्शन सत्र आयोजित किया ताकि इन कंपनियों के स्टॉक्स में फेयर वैल्यू डिस्कवरी हो सके। एल्सिड का मामला साल 2011 से अटका हुआ था, क्योंकि इसकी बुक वैल्यू अधिक होने के बावजूद, कोई भी ट्रेडिंग नहीं हो रही थी। इस स्पेशल ऑक्शन में कंपनी के बुक वैल्यू और वास्तविक ट्रेडिंग मूल्य में भारी अंतर का समाधान करने के लिए यह कदम उठाया गया।
सेबी का फैसला और स्पेशल कॉल ऑक्शन की प्रक्रिया
भारतीय शेयर बाजार में कई निवेश होल्डिंग कंपनियां लिस्टेड हैं, जिनका कारोबार कभी-कभार ही होता है और इनका मूल्य उनकी बुक वैल्यू से काफी कम होता है। सेबी ने ऐसे ही मामलों में मार्केट वैल्यू और बुक वैल्यू के बीच अंतर को कम करने के लिए स्टॉक एक्सचेंजों को स्पेशल ऑक्शन सेशन आयोजित करने का निर्देश दिया था। एल्सिड का मामला ऐसे ही विशेष मामलों में से एक था। स्पेशल कॉल ऑक्शन सत्र के कारण एल्सिड के शेयर में फेयर वैल्यू डिस्कवरी हुई और इसी वजह से इसकी कीमत में असामान्य बढ़त दर्ज की गई।
कैसे हुआ 66 लाख फीसदी का उछाल?
स्पेशल ऑक्शन की वजह से एल्सिड के स्टॉक में अचानक से फेयर वैल्यू डिस्कवरी हुई। सालों तक ट्रेडिंग में न होने के बाद इस स्टॉक की कीमत अब अचानक बढ़कर इतनी ऊंचाई पर पहुंच गई। कंपनी के शेयर का बुक वैल्यू इतना अधिक था कि ट्रेडिंग शुरू होते ही इसके मूल्य में असाधारण वृद्धि देखी गई। बुक वैल्यू और वास्तविक ट्रेडिंग मूल्य के अंतर को कम करने के लिए आयोजित इस विशेष ऑक्शन में कंपनी के स्टॉक की कीमत में 66 लाख फीसदी से भी अधिक की बढ़ोतरी हुई, जो भारतीय स्टॉक मार्केट के इतिहास में अब तक की सबसे अधिक सिंगल-डे बढ़त मानी जा रही है।
एल्सिड इन्वेस्टमेंट्स का भविष्य
एल्सिड इन्वेस्टमेंट्स की इस अप्रत्याशित बढ़ोतरी ने निवेशकों को हैरान कर दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह उछाल बनाए रखता है या फिर जल्द ही गिरावट देखने को मिलेगी। इसकी बुक वैल्यू काफी अधिक होने के कारण निवेशकों के बीच रुचि बढ़ी है, लेकिन इसका स्टॉक ट्रेडिंग के लिहाज से अभी भी कम वॉल्यूम में ही है। एल्सिड ने एमआरएफ को पीछे छोड़कर भारतीय बाजार का सबसे महंगा स्टॉक बनते हुए यह संकेत दिया है कि ऐसे अनदेखे और अनसुने स्टॉक्स में भी भारी निवेश संभावनाएं हो सकती हैं।
भारतीय शेयर बाजार में यह अभूतपूर्व घटना साबित करती है कि मार्केट में मूल्य खोज (प्राइस डिस्कवरी) का महत्व क्या होता है और कैसे कोई भी स्टॉक उचित मूल्य पर पहुंच सकता है।