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अमेरिका ने ईरान को कमजोर करने के लिए उसकी पेट्रोलियम और पेट्रोकेमिकल इंडस्ट्री से जुड़ी 16 कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए हैं। इन प्रतिबंधों की लिस्ट में चार भारतीय कंपनियां भी शामिल हैं। यह अमेरिका के उस अभियान का हिस्सा है, जिसके तहत वह ईरान पर प्रतिबंधों को और सख्त कर रहा है।
किन भारतीय कंपनियों पर लगा प्रतिबंध?
अमेरिकी वित्त विभाग के मुताबिक, जिन चार भारतीय कंपनियों को प्रतिबंधित किया गया है, वे हैं:
1. ऑस्टिनशिप मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड
2. बीएसएम मरीन एलएलपी
3. कॉसमॉस लाइन्स इंक
4. फ्लक्स मैरीटाइम एलएलपी
भारत सरकार ने अभी इस प्रतिबंध पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। भारत के ईरान और अमेरिका दोनों के साथ अच्छे संबंध हैं, इसलिए यह मामला काफी संवेदनशील हो सकता है।
अमेरिका का बयान – ईरान पर दबाव
अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि इन भारतीय कंपनियों को ईरान की पेट्रोलियम और पेट्रोकेमिकल इंडस्ट्री से व्यापारिक संबंध रखने के कारण प्रतिबंधित किया गया है। अमेरिका का कहना है कि वह ईरानी तेल के अवैध शिपिंग नेटवर्क को रोकने के लिए कदम उठा रहा है, क्योंकि यह नेटवर्क एशिया के कई खरीदारों को गुपचुप तरीके से ईरानी तेल बेचने में मदद कर रहा था।
ईरान का अवैध शिपिंग नेटवर्क
अमेरिका के अनुसार, यह नेटवर्क हर साल सैकड़ों मिलियन डॉलर के कच्चे तेल की तस्करी कर रहा था। इस तेल से मिलने वाले पैसे का इस्तेमाल ईरान आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए कर सकता है, इसलिए अमेरिका ने इसे रोकने के लिए प्रतिबंध लगाए हैं।
राष्ट्रपति ट्रंप की नीति का हिस्सा
अमेरिका में जब डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति थे, तब से ही वह ईरान पर आर्थिक दबाव बना रहे थे। अमेरिका का मानना है कि ईरान की तेल बिक्री पर रोक लगाकर उसे आर्थिक रूप से कमजोर किया जाए, ताकि वह आतंकवाद को समर्थन न दे सके।
भारतीय कंपनियों पर असर
अमेरिका द्वारा लगाए गए इन नए प्रतिबंधों से भारतीय कंपनियां भी प्रभावित हुई हैं। अब ये कंपनियां अमेरिकी वित्तीय प्रणाली से लेन-देन नहीं कर पाएंगी और इनके अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर भी असर पड़ सकता है।
आगे क्या होगा?
भारत की सरकार इस मामले पर क्या रुख अपनाएगी, यह देखने वाली बात होगी। भारत के ईरान के साथ ऐतिहासिक व्यापारिक संबंध हैं, लेकिन अमेरिका भी भारत का एक बड़ा रणनीतिक साझेदार है। ऐसे में भारत को दोनों देशों के साथ संतुलन बनाए रखना होगा।
अमेरिका के इस कदम का असर केवल ईरान पर ही नहीं, बल्कि भारतीय कंपनियों पर भी पड़ेगा। आने वाले दिनों में भारत की प्रतिक्रिया और इससे व्यापारिक रिश्तों पर क्या असर पड़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।