वॉशिंगटन: अमेरिका के छह सांसदों ने ट्रंप प्रशासन की अटॉर्नी जनरल पामेला बॉन्डी को पत्र लिखकर अडानी ग्रुप के खिलाफ बाइडेन सरकार द्वारा की गई जांच की समीक्षा की मांग की है। इन सांसदों का कहना है कि इस जांच का कोई ठोस आधार नहीं था और इससे भारत-अमेरिका संबंधों को नुकसान पहुंचा है।
किन सांसदों ने उठाए सवाल?
यह पत्र 10 फरवरी को लिखा गया था, जिसमें लैंस गूडन, पैट फैलन, माइक हैरिडोपोलस, ब्रैंडन गिल, विलियम आर. टिमन्स और ब्रायन बाबिन ने हस्ताक्षर किए हैं। इन सांसदों का कहना है कि भारत अमेरिका का एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है और इस तरह की जांच से दोनों देशों के बीच राजनीतिक और आर्थिक संबंध प्रभावित हो सकते हैं।
क्या हैं आरोप?
अडानी ग्रुप पर अमेरिका में गंभीर वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। अमेरिकी अभियोजकों के मुताबिक, गौतम अडानी की कंपनियों ने 2020 से 2024 के बीच 265 मिलियन डॉलर (करीब 2236 करोड़ रुपये) की रिश्वत दी ताकि उन्हें बड़े सरकारी कॉन्ट्रैक्ट मिल सकें। रिपोर्ट के अनुसार, इस डील से अडानी ग्रुप को 20 सालों में करीब 2 अरब डॉलर (16,600 करोड़ रुपये) से अधिक का मुनाफा होने की उम्मीद थी।
जांच पर सवाल क्यों?
अमेरिकी सांसदों का कहना है कि यह जांच संदिग्ध थी और इसे विदेशी ताकतों के दबाव में शुरू किया गया। उनका मानना है कि अडानी ग्रुप के खिलाफ आरोपों की गहराई से समीक्षा किए बिना ही बाइडेन प्रशासन ने कार्रवाई की, जिससे भारत-अमेरिका व्यापारिक और कूटनीतिक रिश्तों पर असर पड़ा।
अडानी ग्रुप की प्रतिक्रिया
अडानी ग्रुप ने इन सभी आरोपों को खारिज किया है। कंपनी का कहना है कि उन्होंने किसी भी तरह की गैरकानूनी गतिविधि में हिस्सा नहीं लिया और वे हमेशा कानूनी दायरे में रहकर व्यापार करते हैं।
भारत-अमेरिका संबंधों पर असर?
अमेरिकी सांसदों का यह भी कहना है कि भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते व्यापारिक और रक्षा सहयोग को इस तरह की जांच से ठेस पहुंच सकती है। अमेरिका के लिए भारत एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है, खासकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए।
क्या होगा आगे?
अब यह देखना होगा कि ट्रंप प्रशासन की अटॉर्नी जनरल इस जांच की समीक्षा करवाती हैं या नहीं। अगर समीक्षा होती है और जांच में कोई खामियां पाई जाती हैं, तो यह मामला अमेरिका की राजनीतिक बहस का हिस्सा बन सकता है। वहीं, भारत सरकार भी इस पर नजर बनाए हुए है।
👉 अडानी ग्रुप से जुड़े इस मामले का असर केवल कारोबारी दुनिया तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत-अमेरिका के द्विपक्षीय संबंधों को भी प्रभावित कर सकता है।