
पेरिस स्थित आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) ने हाल ही में एक अहम रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कहा गया है कि अमेरिका की आर्थिक वृद्धि दर इस साल यानी 2025 में 1.6% तक गिर सकती है। यह पिछले साल की 2.8% की दर की तुलना में एक बड़ी गिरावट मानी जा रही है।
व्यापार युद्ध का असर
OECD के अनुसार इस गिरावट के पीछे सबसे बड़ा कारण है डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार नीतियाँ। उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में व्यापार युद्ध जैसी नीतियाँ अपनाईं, जिससे अमेरिका के साथ-साथ दुनिया भर में व्यापार पर बुरा असर पड़ा। उनके कार्यकाल में औसत अमेरिकी टैरिफ दरें 15.4% तक पहुंच गईं, जो कि 1938 के बाद सबसे ज़्यादा हैं। तुलना के लिए, जब वे 2016 में सत्ता में आए थे, तब ये दरें करीब 2.5% थीं।
क्या होता है टैरिफ का असर?
जब किसी देश की सरकार आयात पर ज्यादा टैक्स (टैरिफ) लगाती है, तो विदेशों से आने वाले कच्चे माल और हिस्सों की कीमतें बढ़ जाती हैं। इसका सीधा असर अमेरिकी उपभोक्ताओं और कंपनियों पर पड़ता है, क्योंकि उन्हें महंगे दाम चुकाने पड़ते हैं। इस वजह से उत्पादन लागत बढ़ती है और महंगाई का असर आम लोगों तक पहुंचता है।
भविष्य की तस्वीर भी धुंधली
OECD ने चेतावनी दी है कि अगर हालात ऐसे ही रहे, तो 2026 तक अमेरिका की विकास दर 1.5% तक सिमट जाएगी। यह एक चिंताजनक स्थिति है, खासकर उस देश के लिए जो दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर
अमेरिका की अर्थव्यवस्था में गिरावट का असर पूरी दुनिया पर पड़ता है। OECD का कहना है कि वैश्विक विकास दर भी घट रही है। 2024 में यह दर 2.9% रहने की उम्मीद है, और 2026 तक भी इसी स्तर पर बनी रह सकती है। ये आंकड़े पिछली वर्षों की तुलना में कम हैं — जैसे कि 2022 में यह 3.3% और 2023 में 3.4% थी।
OECD क्या है?
OECD एक 38 देशों का समूह है, जिसका मुख्यालय पेरिस में है। यह संगठन आर्थिक नीतियों पर सलाह देता है और समय-समय पर रिपोर्ट और विश्लेषण जारी करता है। इसका मकसद वैश्विक समृद्धि और व्यापार को बढ़ावा देना है।
अगर अमेरिका में फिर से टैरिफ आधारित नीतियाँ लागू होती हैं, तो इसका असर न सिर्फ अमेरिका, बल्कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। OECD की चेतावनी समय रहते समझनी होगी, ताकि आर्थिक अस्थिरता से बचा जा सके।