पंजाब का अमृतसर शहर इन दिनों देश के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हो गया है। दिवाली के मौके पर हुई आतिशबाजी और अन्य कारणों से यहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लगातार खतरे के स्तर तक पहुंच रहा है। शनिवार सुबह के आंकड़ों के अनुसार, अमृतसर का AQI 339 दर्ज किया गया, जो इसे प्रदूषण की गंभीर श्रेणी में ले आता है। यह स्थिति राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के प्रदूषण स्तर के बराबर मानी जा रही है। वहीं, चंडीगढ़ का AQI सुबह 297 दर्ज हुआ, जबकि अमृतसर का 339 था। यह लगातार दूसरा दिन है जब अमृतसर का AQI गंभीर श्रेणी में पहुंचा है, जिससे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
अमृतसर में बढ़ता प्रदूषण और संभावित प्रतिबंध
अमृतसर में पिछले कुछ दिनों से लगातार AQI के स्तर में वृद्धि दर्ज की जा रही है। शुक्रवार शाम 4 बजे के आंकड़ों के अनुसार भी यहां का औसत AQI 350 था। अगर प्रदूषण का स्तर इसी तरह बढ़ता रहा, तो प्रशासन को यहां पर ग्रेड 3 प्रतिबंध लगाने पर विचार करना पड़ सकता है। इन प्रतिबंधों के अंतर्गत यातायात और उद्योगों पर सख्ती से नियंत्रण किया जा सकता है। वहीं, चंडीगढ़ में भी प्रदूषण स्तर शुक्रवार शाम को 302 तक पहुंच गया था, लेकिन धीरे-धीरे इसमें थोड़ी राहत देखी गई है, हालांकि यह राहत अस्थायी है।
अन्य शहरों का AQI स्तर
अमृतसर के साथ ही पंजाब के अन्य शहरों में भी प्रदूषण का स्तर चिंताजनक है। शनिवार सुबह के आंकड़ों के अनुसार, बठिंडा का AQI 131, जालंधर का 225, खन्ना का 220, लुधियाना का 266, मंडी गोबिंदगढ़ का 236 और पटियाला का AQI 231 दर्ज किया गया। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, अमृतसर इस समय लाल श्रेणी में है जबकि पंजाब के अधिकांश शहर संतरी श्रेणी में आते हैं। पंजाब के कई शहरों में भी प्रदूषण स्तर खतरनाक स्तर के करीब पहुंच रहा है, जिससे यहां की हवा सांस लेने के लिए सुरक्षित नहीं रह गई है।
तापमान में गिरावट और आगामी सप्ताह का मौसम पूर्वानुमान
प्रदूषण स्तर में बढ़ोतरी के साथ-साथ पंजाब और चंडीगढ़ में तापमान में भी गिरावट हो रही है। पिछले कुछ दिनों में हवा की रफ्तार तेज हुई है, जिससे आने वाले दिनों में तापमान धीरे-धीरे कम होता जाएगा और ठंड का असर बढ़ेगा। मौसम विभाग के अनुसार, अगले एक सप्ताह तक बारिश की कोई संभावना नहीं है, जिससे प्रदूषण का स्तर और अधिक बढ़ सकता है। इस समय उत्तर भारत में पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय नहीं है, जो आमतौर पर इस समय वर्षा का कारण बनता है। ऐसे में सूखी ठंड और प्रदूषण की स्थिति बनी रहेगी, जिससे लोगों की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं।
स्वास्थ्य पर प्रभाव और सावधानियां
अमृतसर समेत अन्य शहरों में बढ़ते प्रदूषण का सबसे ज्यादा प्रभाव स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। हवा में मौजूद प्रदूषक कण जैसे PM2.5 और PM10 सीधे फेफड़ों में प्रवेश कर सकते हैं, जिससे सांस लेने में समस्या, अस्थमा और फेफड़ों में संक्रमण जैसी समस्याएं हो सकती हैं। जिन लोगों को पहले से सांस संबंधी बीमारियां हैं, उनके लिए यह स्थिति और अधिक घातक हो सकती है। इन कणों का प्रभाव रक्त प्रवाह पर भी पड़ सकता है, जिससे हृदय रोग और उच्च रक्तचाप का खतरा बढ़ सकता है।
बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं पर विशेष प्रभाव
प्रदूषण का सबसे गहरा असर बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं पर पड़ता है। बच्चों का विकास प्रभावित हो सकता है, वहीं बुजुर्गों में हृदय और फेफड़ों की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। गर्भवती महिलाओं में प्रदूषण से गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर पड़ सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि बढ़ते प्रदूषण के कारण घर से बाहर निकलने में सावधानी बरतनी चाहिए और मास्क का उपयोग करना चाहिए। यदि संभव हो तो सुबह और शाम के समय, जब प्रदूषण स्तर अधिक होता है, घर के अंदर ही रहें। इसके अलावा, पौष्टिक आहार और भरपूर पानी पीने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने में मदद मिल सकती है।
सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की भूमिका
प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जल्द से जल्द कदम उठाने की आवश्यकता है। सरकार को जरूरी कदम उठाकर उद्योगों और यातायात पर नियंत्रण करना होगा। इसके साथ ही पराली जलाने की घटनाओं पर भी सख्त कार्रवाई करनी होगी, ताकि प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित किया जा सके। इसके अलावा, लोगों को जागरूक करने और उन्हें प्रदूषण से बचाव के उपायों के बारे में जानकारी देने के लिए भी कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए।
अमृतसर समेत पंजाब के कई शहरों में प्रदूषण की समस्या गंभीर होती जा रही है, जिससे लोगों की सेहत पर गंभीर असर पड़ रहा है। हवा की गुणवत्ता में गिरावट और तापमान में बदलाव के चलते आने वाले दिनों में प्रदूषण का स्तर और बढ़ सकता है। सरकार, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नागरिकों के संयुक्त प्रयासों से ही इस समस्या का समाधान किया जा सकता है। प्रदूषण से बचाव के लिए लोगों को जागरूक होने और सतर्क रहने की जरूरत है।