
अमृतसर स्थित श्री अकाल तख्त साहिब में 1984 के ऑपरेशन ब्लूस्टार की याद में मनाई गई घल्लूघारा दी 41वीं बरसी शांति पूर्ण तरीके से संपन्न हो गई। इस मौके पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी, कार्यकारी जत्थेदार कुलदीप सिंह गड़गज, दमदमी टकसाल के प्रमुख बाबा हरनाम सिंह खालसा, तरना दल के मुखी बाबा मेजर सिंह, और अन्य धार्मिक जत्थेबंदियों के प्रतिनिधि पहुंचे।
समापन कार्यक्रम के बाद कारजकारी जत्थेदार कुलदीप सिंह गड़गज ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि 1984 में कांग्रेस सरकार के इशारे पर श्री अकाल तख्त साहिब पर फौजी हमला किया गया था, जिसे आज 41 साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन अब तक न्याय नहीं मिला है। उन्होंने भावुक होकर एक उदाहरण भी साझा किया कि एक मां जिसके चार बेटे उस हमले में शहीद हो गए, आज भी अकेली जिंदगी गुजार रही है।
एकता की अपील
गड़गज ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि पूरी कौम एक हो, और खालसाई झंडे के नीचे संगठित होकर न्याय की लड़ाई लड़ी जाए। जब तक हम आपस में बंटे रहेंगे, तब तक हमें न्याय नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा, “हमें आपसी मतभेद भूलाकर एकता की ओर कदम बढ़ाना होगा, तभी शहीदों की कुर्बानी सच्चे मायनों में रंग लाएगी।”
बरसी पर विशेष संदेश
उन्होंने आगे बताया कि आज की अरदास को एक संदेश के रूप में कौम के नाम जारी किया गया है। इस अवसर पर उन्होंने काली दस्तार (पगड़ी) पहनकर शहीदों के प्रति शोक और सम्मान जताया। उनका कहना था कि यह दिन सिर्फ इतिहास को याद करने का नहीं, बल्कि आने वाले समय के लिए संकल्प लेने का भी है।
जत्थेबंदियों का आभार
गड़गज ने सभी पहुंची हुई टकसालों, राजनैतिक संगठनों और धार्मिक जत्थेबंदियों का धन्यवाद किया जो इस मौके पर एकत्र हुईं। उन्होंने कहा कि ऐसे मौके हमारी एकता और समझदारी की परीक्षा लेते हैं। उन्होंने कहा, “जब कौम के बड़े हितों की बात आती है, तो बहुत कुछ नजरअंदाज करना पड़ता है। हमें हर हाल में एकजुट रहना होगा।”
घल्लूघारा सप्ताह के तहत आयोजित यह समागम एक बार फिर सिख कौम की पीड़ा और एकजुटता की पुकार बनकर सामने आया। जत्थेदारों और नेताओं ने साफ कहा कि जब तक सिख समुदाय एक नहीं होगा, न्याय मिलना मुश्किल है। इस मौके पर शांति बनाए रखने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल भी तैनात था, लेकिन समागम पूरी तरह शांतिपूर्वक और श्रद्धा के साथ संपन्न हुआ।
इस कार्यक्रम ने सिखों की एकता, न्याय की मांग और शहीदों की याद को फिर से ताजा कर दिया है।