देश और विदेश में बसे सिख समुदाय की निगाहें 2 दिसंबर को श्री अकाल तख्त साहिब पर टिकी हुई हैं। इस दिन शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल और अन्य अकाली नेताओं की श्री अकाल तख्त साहिब पर पेशी होने जा रही है। पंथक राजनीति के लिहाज से इस पेशी को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इस दिन पंथ से जुड़े बड़े फैसले होने की संभावना है।
जथेदार ने अकाली नेताओं को भेजा चेतावनी भरा पत्र
श्री अकाल तख्त साहिब के जथेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने पेशी से पहले ही अकाली नेताओं को एक कड़ा और ताड़ना भरा पत्र भेजा है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि यदि पेशी के दौरान किसी भी तरह का विवाद या पवित्र स्थल की मर्यादा का उल्लंघन हुआ तो इसकी जिम्मेदारी स्वयं इन नेताओं पर होगी।
जथेदार के निजी सहायक जसपाल सिंह के जरिए भेजे गए इस पत्र में अकाली नेताओं को पवित्र स्थल की मर्यादा बनाए रखने की हिदायत दी गई है। 2 दिसंबर को दोपहर 1 बजे पेशी के दौरान किसी भी प्रकार की अनुचित गतिविधि होने पर, इसकी जिम्मेदारी पेश होने वाले नेताओं की होगी।
पेशी के पीछे की वजह
पत्र में उल्लेख किया गया है कि 2007 से 2017 तक शिरोमणि अकाली दल की सरकार के कार्यकाल में कुछ गंभीर गलतियां हुईं, जिनसे सिख समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंची। इसके साथ ही सिख संस्थाओं का मान-सम्मान भी कम हुआ। इन घटनाओं के कारण सिखों की राजनीतिक पार्टी, शिरोमणि अकाली दल, भी कमजोर हुई।
इस संदर्भ में, जथेदार ने स्पष्ट किया है कि इन नेताओं को अपनी भूलों का स्पष्टीकरण देने के लिए अकाल तख्त साहिब पर पेश होना अनिवार्य है।
इन नेताओं को भेजा गया है पत्र
पत्र में शिरोमणि अकाली दल के 17 पूर्व मंत्रियों के नाम शामिल हैं, जिनमें डॉ. उपिंदरजीत कौर, आदेश प्रताप सिंह कैरो, गुलजार सिंह रणीके, परमिंदर सिंह, सुच्चा सिंह लंगाह, जनमेजा सिंह, हीरा सिंह, सरवन सिंह फिल्लौर, सोहन सिंह, डॉ. दलजीत सिंह चीमा, सिकंदर सिंह मलूका, बीबी जगीर कौर, बिक्रम सिंह मजीठिया, मनप्रीत सिंह बादल, शरणजीत सिंह, सुरजीत सिंह, और महेश इंदर सिंह शामिल हैं।
इसके अलावा, शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल को अलग से पत्र भेजकर उन्हें पेश होने के लिए निर्देशित किया गया है।
अन्य समितियों को भी बुलाया गया
शिरोमणि अकाली दल की तत्कालीन कोर कमेटी और 2015 की शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की अंतरिम कमेटी को भी पेश होने का आदेश दिया गया है। इसके अलावा, एसजीपीसी के वर्तमान अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी को अपने सचिवों के साथ श्री अकाल तख्त साहिब पर उपस्थित रहने के लिए कहा गया है।
तत्कालीन श्री अकाल तख्त साहिब के जथेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह, ज्ञानी गुरमुख सिंह, और ज्ञानी इकबाल सिंह को भी अपनी भूमिका पर स्पष्टीकरण देने के लिए बुलाया गया है।
पंथक राजनीति में बदलाव की उम्मीद
इस पेशी को लेकर सिख समुदाय में उत्सुकता और चिंतन दोनों हैं। यह मामला सिख समुदाय के लिए न केवल धार्मिक बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी अहम है। 2 दिसंबर को अकाल तख्त साहिब पर होने वाले फैसले का प्रभाव शिरोमणि अकाली दल और सिख राजनीति की दिशा पर पड़ सकता है।
सभी पक्षों से अपील की गई है कि वे श्री अकाल तख्त साहिब की मर्यादा का पालन करें और किसी भी प्रकार के विवाद से बचें।