दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने आरक्षण का मुद्दा उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह पर गंभीर आरोप लगाए हैं। केजरीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने दिल्ली के जाट समुदाय को ओबीसी सूची में शामिल करने का वादा चार बार किया, लेकिन उसे पूरा नहीं किया। गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को आड़े हाथ लिया और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इस संबंध में कार्रवाई की मांग की।
जाट समुदाय के साथ भेदभाव का आरोप
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि राजस्थान के जाटों को केंद्र की ओबीसी सूची में शामिल किया गया है, जिसके चलते उन्हें दिल्ली यूनिवर्सिटी और अन्य केंद्रीय संस्थानों में आरक्षण का लाभ मिलता है। इसके विपरीत, दिल्ली के जाट समुदाय को यह लाभ नहीं मिलता क्योंकि उन्हें केंद्र की ओबीसी सूची में शामिल नहीं किया गया है। उन्होंने इसे दिल्ली के जाट समुदाय के साथ अन्याय बताया और कहा कि यह स्थिति बीते 10 वर्षों से जारी है।
केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा, “प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने दिल्ली के जाटों से कई बार वादा किया कि उन्हें केंद्र की ओबीसी सूची में शामिल किया जाएगा, लेकिन अब तक यह वादा पूरा नहीं हुआ। यह दिल्ली के जाट समाज के साथ धोखा है।”
अन्य जातियों का भी मुद्दा उठाया
जाट समुदाय के अलावा, केजरीवाल ने रावत, रोनियार, राय तंवर, चारण और ओड जातियों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार पहले से ही इन जातियों को ओबीसी दर्जा देती है, लेकिन केंद्र सरकार के संस्थानों में इन जातियों को ओबीसी आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है। उन्होंने इसे केंद्र सरकार की नीतियों में मौजूद विसंगति करार दिया।
केजरीवाल ने बताया कि दिल्ली यूनिवर्सिटी, एनडीएमसी, डीडीए, एम्स, सफदरजंग, और राम मनोहर लोहिया जैसे केंद्रीय संस्थानों में दिल्ली के जाट समुदाय और अन्य ओबीसी जातियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की इस वादाखिलाफी की वजह से इन समुदायों के हजारों युवा शिक्षा और रोजगार के उचित अवसरों से वंचित रह जाते हैं।
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में उठाए सवाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में केजरीवाल ने केंद्र सरकार की विसंगतियों को दूर करने की मांग की। उन्होंने लिखा, “मुझे पता चला कि राजस्थान के जाट समाज को केंद्र की ओबीसी सूची में होने के कारण दिल्ली यूनिवर्सिटी में आरक्षण का लाभ मिलता है। वहीं, दिल्ली के जाट समाज को यह लाभ नहीं दिया जा रहा है। यह उनके साथ भेदभाव है और केंद्र सरकार का यह रवैया अस्वीकार्य है।”
उन्होंने यह भी कहा कि केवल जाट समुदाय ही नहीं, बल्कि रावत, रोनियार, राय तंवर, चारण और ओड जातियां भी इस भेदभाव का शिकार हो रही हैं। केजरीवाल ने केंद्र से अपील की कि वह ओबीसी सूची में दिल्ली के इन समुदायों को शामिल करके उन्हें समान अधिकार प्रदान करे।
आरक्षण की वकालत
केजरीवाल ने वादा किया कि अगर दिल्ली में आप की सरकार बनती है, तो वह जाटों और अन्य जातियों के लिए केंद्र की ओबीसी सूची में शामिल होने तक संघर्ष करेगी। उन्होंने कहा कि यह समुदाय दिल्ली में शिक्षा और रोजगार के बेहतर अवसरों का हकदार है और उनकी पार्टी इस मुद्दे को गंभीरता से उठाएगी।
चुनावी रणनीति के संकेत
यह बयान ऐसे समय पर आया है जब दिल्ली में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। केजरीवाल का यह कदम जाट समुदाय को साधने और आप की स्थिति मजबूत करने की एक रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। जाट समुदाय दिल्ली में एक बड़ा वोट बैंक है, और इसे अपने पक्ष में करना चुनावी दृष्टि से अहम है।
अरविंद केजरीवाल ने जाट समुदाय के आरक्षण के मुद्दे को उठाकर केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की है। यह मुद्दा केवल जाटों तक सीमित नहीं है, बल्कि अन्य ओबीसी जातियों को भी ध्यान में रखकर उठाया गया है। चुनावी माहौल में इस बयान का प्रभाव देखने लायक होगा, लेकिन यह स्पष्ट है कि आप ने इस बार आरक्षण कार्ड खेलकर जाट समुदाय और अन्य जातियों का समर्थन हासिल करने का प्रयास किया है।