आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी को एक पत्र लिखा। इस पत्र में चौहान ने दिल्ली में किसानों की समस्याओं को उठाते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार को केंद्र की योजनाओं को लागू कर किसानों को राहत प्रदान करनी चाहिए।
शिवराज सिंह चौहान ने क्या कहा?
शिवराज सिंह चौहान ने पत्र में दिल्ली के किसानों की स्थिति पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों की भलाई के लिए कई योजनाएं चलाई हैं, जिनमें प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि और किसान क्रेडिट कार्ड जैसी योजनाएं शामिल हैं। चौहान ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार इन योजनाओं को लागू करने में असफल रही है, जिससे किसानों को उनका हक नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि “दिल्ली सरकार को केंद्र की योजनाओं को लागू कर किसानों की समस्याओं का समाधान करना चाहिए।”
आतिशी का पलटवार
दिल्ली की मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी ने इस पत्र का तीखा जवाब दिया। उन्होंने भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि “बीजेपी का किसानों के बारे में बात करना वैसा ही है जैसे दाऊद अहिंसा पर प्रवचन दे रहा हो।” उन्होंने कहा कि भाजपा के शासनकाल में किसानों की स्थिति सबसे खराब रही है।
आतिशी ने कहा, “किसानों से राजनीति करना बंद करो। भाजपा सरकार के दौरान किसानों पर गोलियां और लाठियां चलती रहीं। जितना बुरा हाल किसानों का भाजपा के समय हुआ, उतना पहले कभी नहीं हुआ। बीजेपी को किसानों के बारे में बोलने का कोई अधिकार नहीं है।”
किसानों पर राजनीति के आरोप
आतिशी ने भाजपा पर किसानों के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा ने हमेशा किसानों के मुद्दों का राजनीतिकरण किया है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने तीन कृषि कानून लाकर किसानों के हितों पर हमला किया था, जिसे बाद में मजबूरी में वापस लेना पड़ा।
किसानों का मुद्दा चुनावी केंद्र में
दिल्ली चुनाव से पहले किसानों का मुद्दा राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है। एक तरफ भाजपा केंद्र सरकार की योजनाओं का प्रचार कर रही है, तो दूसरी ओर आम आदमी पार्टी भाजपा की नीतियों को किसान विरोधी बता रही है।
राजनीतिक माहौल गरमाया
आतिशी और शिवराज सिंह चौहान के इस वाक्युद्ध से स्पष्ट है कि आगामी चुनाव में किसान मुद्दा अहम भूमिका निभाएगा। दोनों दल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं, लेकिन असली सवाल यह है कि दिल्ली के किसानों को उनकी समस्याओं से कब राहत मिलेगी।
अब देखना होगा कि यह बहस किस दिशा में जाती है और चुनावों पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है।