
भारत और पाकिस्तान के बीच एक बार फिर हालात तनावपूर्ण हो गए हैं। मंगलवार और बुधवार की रात भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में 9 आतंकी ठिकानों पर हमला किया। इसके जवाब में पाकिस्तान की ओर से नियंत्रण रेखा (LoC) पर भारी गोलीबारी की जा रही है। ऐसे हालात में यह सवाल उठता है कि क्या विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार से दूरी बना लेंगे?
लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि मौजूदा तनाव का भारतीय बाजार पर ज़्यादा असर नहीं पड़ेगा। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, विदेशी निवेशकों को भारत की अर्थव्यवस्था पर पूरा भरोसा है और वे इससे पीछे हटने के मूड में नहीं हैं।
क्यों नहीं घबराए निवेशक?
भारत की 4 ट्रिलियन डॉलर से भी बड़ी अर्थव्यवस्था में पाकिस्तान के साथ व्यापार का हिस्सा बेहद छोटा है। दरअसल, पहलगाम में आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच व्यापार लगभग बंद हो चुका है। इसलिए सीमापार हुई सैन्य कार्रवाई का सीधा असर भारतीय शेयर बाजार, रुपया या बांड मार्केट पर नहीं पड़ा है।
निवेशकों को भरोसा: युद्ध की संभावना नहीं
निवेशकों का मानना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच पूर्ण युद्ध की संभावना बहुत कम है। अतीत में भी ऐसे तनाव भरे हालात के बाद बाजार जल्द ही संभल जाते हैं। 2019 में पुलवामा और बालाकोट हमले के दौरान भी बाजार ने थोड़ी अस्थिरता के बाद खुद को स्थिर कर लिया था। उस समय रुपये में मामूली गिरावट आई थी और बांड यील्ड में थोड़ी तेजी के बाद गिरावट देखने को मिली थी।
2020 में चीन के साथ गलवान घाटी में हुए संघर्ष के दौरान भी कुछ समय के लिए रुपया कमजोर हुआ था, लेकिन कुछ ही हफ्तों में फिर से संभल गया। ऐसे उदाहरणों से यह साफ है कि भारत पर भू-राजनीतिक तनाव का लंबा असर नहीं पड़ता।
भारत पर विश्वास क्यों बना हुआ है?
भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। भारतीय रिजर्व बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए 6.5% की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान जताया है। यही वजह है कि विदेशी निवेशक भारत को एक मजबूत और भरोसेमंद बाजार मानते हैं।
इसके अलावा, भारत और ब्रिटेन के बीच एक अहम व्यापार समझौते पर सहमति बनी है और अमेरिका के साथ भी द्विपक्षीय बातचीत तेज़ी से आगे बढ़ रही है। इस तरह के समझौते विदेशी निवेश को और आकर्षित करते हैं।
अप्रैल की शुरुआत से लेकर अब तक निफ्टी 50 इंडेक्स में 4.6% की बढ़त दर्ज की गई है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार, भारत 2025 तक जापान को पछाड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।
हालांकि भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव की स्थिति गंभीर है, लेकिन बाजार पर इसका स्थायी असर पड़ने की संभावना बेहद कम है। विदेशी निवेशक भारत की अर्थव्यवस्था की स्थिरता और विकास दर को देखते हुए अब भी इस पर भरोसा बनाए हुए हैं। बाजार को लेकर उनकी सकारात्मक सोच जारी है, जो भारत के आर्थिक भविष्य के लिए अच्छा संकेत है।