
आम आदमी पार्टी (AAP) ने पंजाब के लुधियाना पश्चिम और गुजरात के विसावदर में उपचुनाव जीतकर एक बार फिर दिखा दिया है कि पार्टी की रणनीति और नेतृत्व दोनों मजबूत हैं। खासकर लुधियाना की जीत ने न सिर्फ विरोधियों को हैरान कर दिया है, बल्कि यह साबित कर दिया है कि पंजाब में केजरीवाल और भगवंत मान की जोड़ी असर दिखा रही है।
लुधियाना में बड़ी जीत, बढ़ा जनसमर्थन
लुधियाना पश्चिम सीट से आम आदमी पार्टी 2022 में भी जीती थी, लेकिन तब जीत का अंतर 7 हजार वोटों का था। इस बार पार्टी 10 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से जीती है। यानी न सिर्फ सीट बचाई बल्कि जनसमर्थन भी बढ़ाया। ये जीत दिखाती है कि जनता को AAP का काम पसंद आ रहा है और पार्टी की लोकप्रियता बढ़ रही है।
केजरीवाल का राज्यसभा से इनकार: साफ इरादों का संकेत
जीत के तुरंत बाद अरविंद केजरीवाल ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि वे पंजाब से राज्यसभा नहीं जा रहे। यह घोषणा यह साबित करती है कि उनका मकसद सिर्फ राजनीति करना नहीं, बल्कि लोगों की सेवा करना है। इससे विरोधियों के उस आरोप को भी जवाब मिल गया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री पंजाब की राजनीति में जरूरत से ज्यादा दखल दे रहे हैं।
पंजाब में तेजी से हुए काम का असर
दिल्ली की हार के बाद आम आदमी पार्टी ने पंजाब में काम की रफ्तार तेज की। खासतौर पर ‘युद्ध नशे के विरुद्ध’ अभियान में केजरीवाल और मुख्यमंत्री भगवंत मान खुद मैदान में उतरे। ऐसा नशे के खिलाफ शायद ही पहले कहीं हुआ हो। लोगों ने भी यह महसूस किया कि अब सिर्फ वादे नहीं, ज़मीन पर काम हो रहा है।
शहरी वोटरों को साधने की सफल कोशिश
AAP ने इस बार शहरी वोटर पर खास ध्यान दिया। संजीव अरोड़ा जैसे साफ-सुथरी छवि वाले बिजनेसमैन को आगे कर पार्टी ने लुधियाना जैसे शहरी इलाके में बड़ा संदेश दिया। व्यापारियों के लिए ‘सिंगल विंडो सिस्टम’ और ‘फास्ट ट्रैक पंजाब पोर्टल’ जैसी योजनाएं शुरू की गईं, जिनके ज़रिए अब व्यवसाय से जुड़े 100 से ज्यादा मंजूरियां ऑनलाइन मिल सकती हैं – वो भी सिर्फ 45 दिनों में।
सरकार का रुख: व्यापारी नहीं अब साथी
पहले की सरकारों में व्यापारी अक्सर परेशान रहते थे, लेकिन अब उन्हें लगने लगा है कि सरकार उनके साथ खड़ी है। यह विश्वास बनाना आसान नहीं था, लेकिन केजरीवाल और मान की जोड़ी ने इसे सच कर दिखाया। छोटे-बड़े उद्योगों के लिए यह बड़ा संदेश है कि अब पंजाब में कारोबार करना आसान होगा।
राजनीति से ऊपर सेवा की भावना
केजरीवाल का राज्यसभा से इनकार सिर्फ एक राजनीतिक स्टेटमेंट नहीं था, बल्कि यह दिखाता है कि वे पद के पीछे नहीं भागते। अगर वो बिना किसी पद के भी पंजाब की सेवा करना चाहते हैं, तो इसे विरोध नहीं, स्वागत मिलना चाहिए। आज के समय में ऐसा नेतृत्व दुर्लभ है, जो फैसले जनता की भलाई के लिए ले।
भगवंत मान और केजरीवाल: एक अजेय टीम
भगवंत मान पंजाब के लोगों के बीच चेहरा हैं, जबकि केजरीवाल एक रणनीतिकार की भूमिका निभा रहे हैं। ये जोड़ी आज पंजाब की राजनीति में सबसे मजबूत दिखाई देती है। अगर यह रफ्तार बनी रही तो कांग्रेस, भाजपा और अकाली दल को अपनी पकड़ बनाए रखना मुश्किल होगा।लुधियाना पश्चिम उपचुनाव सिर्फ एक सीट की जीत नहीं है, बल्कि यह केजरीवाल की सोच, उनकी रणनीति और ईमानदार शासन का जनता की तरफ से दिया गया समर्थन है। पंजाब में आम आदमी पार्टी का यह बढ़ता कद बताता है कि अगर राजनीति को सेवा के रूप में लिया जाए, तो जनता उसे सर आंखों पर बैठाती है।