
पंजाब सरकार ने आज एक बड़ा और सख्त कदम उठाते हुए ड्राइविंग लाइसेंस घोटाले में शामिल अफसरों पर सीधा एक्शन लिया है। विजिलेंस ब्यूरो के चीफ, IPS सुरिंदरपाल सिंह परमार को सस्पेंड कर दिया गया है। इस कार्रवाई ने प्रदेश भर में हलचल मचा दी है और भगवंत मान सरकार का यह संदेश साफ हो गया है — जो भ्रष्टाचारियों को बचाएगा, वो खुद नहीं बचेगा।
घोटाले की जांच के दौरान यह बात सामने आई थी कि विजिलेंस विभाग के वरिष्ठ अधिकारी इस पूरे मामले में ढील बरत रहे थे और आरोपियों को बचाने की कोशिश हो रही थी। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस पर सख्त रवैया अपनाते हुए तत्काल कार्रवाई के आदेश दिए।
परमार के साथ-साथ SSP विजिलेंस स्वर्णदीप सिंह और AIG विजिलेंस हरप्रीत सिंह को भी सस्पेंड कर दिया गया है। तीनों अधिकारियों पर आरोप है कि इन्होंने ड्राइविंग लाइसेंस घोटाले की जांच को धीमा करने और जिम्मेदार लोगों को राहत देने की कोशिश की।
यह पूरा घोटाला राज्य में फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने और उसमें घूसखोरी को लेकर था। जब सरकार ने इसकी गहराई से जांच शुरू की, तो विजिलेंस विभाग के ही कुछ अफसर जांच को कमजोर करने की कोशिश में लगे हुए पाए गए।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा, “भ्रष्टाचार चाहे कहीं भी हो, उसे जड़ से खत्म किया जाएगा। अगर कोई उसे बचाने की कोशिश करेगा, तो वह भी कार्रवाई से नहीं बचेगा।”
इस कदम के बाद राज्य भर में यह संदेश गया है कि सरकार न सिर्फ भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रही है, बल्कि उस तंत्र के खिलाफ भी जो भ्रष्टाचारियों को शरण देता है।
अब उम्मीद है कि इस घोटाले में शामिल असली दोषियों पर भी जल्द ही कड़ी कार्रवाई होगी और पंजाब में पारदर्शी प्रशासन को लेकर जनता का विश्वास और मजबूत होगा।