नई दिल्ली: सैटेलाइट नेटवर्क को लेकर भारत सरकार ने बड़ा फैसला लिया है, जिससे देश में इस सेवा की राह साफ हो गई है। लोकसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान केंद्रीय संचार मंत्री पेम्मासानी चंद्रशेखर ने सैटेलाइट सर्विस के लिए प्रशासनिक प्रक्रिया अपनाने का संकेत दिया है। यह फैसला Jio और Airtel के लिए निराशाजनक साबित हो सकता है, जबकि एलन मस्क की कंपनी Starlink और Amazon Kuiper के लिए यह राहत भरा कदम है।
नए टेलीकॉम एक्ट के तहत आवंटन प्रक्रिया
संचार मंत्री ने बताया कि सैटेलाइट नेटवर्क आवंटन प्रक्रिया को नए टेलीकॉम एक्ट के तहत आर्थिक और तकनीकी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए प्रशासनिक तरीके से लागू किया जाएगा। Jio और Airtel ने सरकार से सैटेलाइट स्पेक्ट्रम के लिए टेरेस्टियल मोबाइल नेटवर्क की तरह नीलामी प्रक्रिया अपनाने की मांग की थी। लेकिन सरकार ने साफ कर दिया है कि यह आवंटन प्रक्रिया प्रशासनिक तरीके से होगी।
इस विषय पर दूरसंचार विभाग (DoT) ने टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) से सुझाव मांगे हैं। TRAI की सिफारिशों के बाद ही सरकार अंतिम फैसला लेगी। TRAI से सैटेलाइट स्पेक्ट्रम की कीमत, लाइसेंस प्रक्रिया और अन्य तकनीकी बिंदुओं पर सलाह मांगी गई है।
Jio और Airtel बनाम Starlink और Kuiper
भारत में सैटेलाइट सर्विस के लिए Jio, Airtel, Starlink और Amazon Kuiper के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिल रही है। Jio और Airtel नीलामी प्रक्रिया के जरिए स्पेक्ट्रम हासिल करना चाहते हैं, जबकि Starlink और Kuiper प्रशासनिक प्रक्रिया के पक्षधर हैं।
Starlink पहले ही ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में हाई-स्पीड इंटरनेट सेवा देने की योजना बना चुकी है। Amazon Kuiper भी इसी सेगमेंट में अपनी पकड़ बनाने की कोशिश कर रही है। दूसरी ओर, Jio और Airtel ने अपने मौजूदा मोबाइल नेटवर्क के अनुभव का फायदा उठाते हुए सैटेलाइट स्पेक्ट्रम की नीलामी प्रक्रिया का समर्थन किया है।
ग्रामीण भारत को मिलेगा फायदा
सैटेलाइट सर्विस के माध्यम से ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में हाई-स्पीड इंटरनेट सेवाएं पहुंचाई जा सकेंगी। Starlink ने पहले ही भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में सस्ती इंटरनेट सेवा देने का वादा किया है। सरकार का यह फैसला डिजिटल इंडिया के तहत कनेक्टिविटी को मजबूत करने में मदद करेगा।
आगे की राह
सरकार का रूख स्पष्ट करते हुए संचार मंत्री ने कहा कि यह फैसला देश के नागरिकों के हित में लिया जाएगा। TRAI की सिफारिशें मिलने के बाद ही सैटेलाइट स्पेक्ट्रम अलोकेशन को लेकर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
भारत में सैटेलाइट सर्विस प्रोवाइडर्स के बीच यह प्रतिस्पर्धा इंटरनेट कनेक्टिविटी के क्षेत्र में बड़े बदलाव ला सकती है। Starlink और Kuiper जैसी कंपनियों की एंट्री से Jio और Airtel को अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ सकता है।