आज धान की खरीद को लेकर पंजाब में संयुक्त किसान मोर्चा ने राज्यव्यापी प्रदर्शन किया, जिसमें प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से आए किसान नेताओं ने हिस्सा लिया। मंडियों में धान की खरीद प्रक्रिया सुचारू न होने के कारण किसान असंतुष्ट हैं और इसको लेकर राज्य के विभिन्न नेशनल हाईवे पर सुबह से ही जाम लगाए गए हैं। भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल विशेष रूप से इस धरने में पहुंचे और मीडिया से बातचीत करते हुए केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चेतावनी दी कि यदि किसानों की समस्याओं का शीघ्र समाधान नहीं हुआ, तो इससे देश में गंभीर खाद्य संकट उत्पन्न हो सकता है।
धान खरीद की धीमी प्रक्रिया से किसान परेशान राजेवाल ने बताया कि धान की फसल को मंडियों में लाने के बाद खरीद प्रक्रिया में अड़चनों के चलते किसानों को लंबे समय तक इंतजार करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि 25 दिनों से किसान मंडियों में फंसे हुए हैं, जिससे किसानों के साथ शैलर मालिक और मजदूर भी प्रभावित हो रहे हैं। मंडियों में धान खरीद में आ रही देरी से पंजाब की अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि किसानों के पास पहले से ही आर्थिक समस्याएं हैं, और ऐसे में धान की बिक्री न हो पाने से उनकी परेशानियाँ और बढ़ गई हैं।
पंजाब सरकार और केंद्र पर लगे आरोप धरने के दौरान राजेवाल ने आरोप लगाया कि पंजाब सरकार और केंद्र दोनों ने ही इस गंभीर मुद्दे की ओर ध्यान नहीं दिया है। केंद्र सरकार द्वारा गोदामों में रखे पुराने अनाज को रिलीज न करने के कारण नई फसल की खरीद में दिक्कतें आ रही हैं। साथ ही पंजाब सरकार पर भी उन्होंने लापरवाही का आरोप लगाया और कहा कि सरकार ने स्थिति को गंभीरता से नहीं लिया है। राजेवाल ने कहा कि पिछले साल भी किसानों को इस प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ा था, लेकिन इस बार हालात और भी बदतर हो गए हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा की माँगें धरने में संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी मांगों को स्पष्ट करते हुए कहा कि धान की खरीद को जल्द से जल्द सुचारू रूप से चलाया जाए और इसके लिए मंडियों में पर्याप्त संख्या में कर्मचारियों को तैनात किया जाए। इसके साथ ही किसानों ने यह भी माँग रखी कि गोदामों में पहले से रखे अनाज को जल्दी से जल्दी रिलीज किया जाए, ताकि नई फसल की खरीद में आसानी हो सके। किसानों ने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगे जल्द नहीं मानी गईं तो वे और भी व्यापक आंदोलन करेंगे।
पंजाब की अर्थव्यवस्था पर असर राजेवाल ने कहा कि धान खरीद प्रक्रिया में देरी से पंजाब की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ रहा है। राज्य का कृषि क्षेत्र पहले ही संकट में है, और मंडियों में धान का उठान न होने के कारण यह स्थिति और गंभीर हो गई है। उन्होंने बताया कि पंजाब में अधिकतर किसान धान की फसल पर निर्भर हैं, और इसकी बिक्री न होने से किसानों की आमदनी पर बुरा असर पड़ रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने इस मुद्दे को जल्द हल नहीं किया तो राज्य की अर्थव्यवस्था और भी प्रभावित होगी।
संयुक्त किसान मोर्चा के आगे की रणनीति प्रदर्शन के दौरान किसान नेताओं ने यह भी बताया कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो आने वाले समय में बड़े आंदोलन की योजना बनाई जाएगी। इसके तहत प्रदेशभर में बड़े स्तर पर आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी। राजेवाल ने स्पष्ट किया कि केंद्र और राज्य सरकारों को किसानों की मांगों को अनसुना करना भारी पड़ेगा, और अगर स्थिति नहीं सुधरी तो इससे पूरे राज्य में असंतोष का माहौल बन सकता है।
सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार किसानों के इस विरोध प्रदर्शन के बाद अब सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार किया जा रहा है। इस बीच सरकार द्वारा मंडियों में धान खरीद को लेकर कोई ठोस कदम उठाने की खबर नहीं आई है। किसानों को उम्मीद है कि सरकार उनके आंदोलन को गंभीरता से लेगी और शीघ्रता से कोई हल निकालेगी।