भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने सांसदों को संसद में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ (ONOE) विधेयक पेश किए जाने के दौरान अनुपस्थित रहने पर नोटिस भेजने का फैसला किया है। इस सूची में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया और गिरिराज सिंह जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं।
व्हिप का उल्लंघन
बीजेपी ने अपने सांसदों को पहले से तीन लाइन का व्हिप जारी किया था, जिसमें उन्हें लोकसभा में विधेयक पेश किए जाने के दौरान अनिवार्य रूप से उपस्थित रहने के निर्देश दिए गए थे। हालांकि, मंगलवार को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा लोकसभा में ONOE विधेयक पेश किए जाने के दौरान पार्टी के करीब 20 सांसद सदन से अनुपस्थित रहे। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, यह स्पष्ट नहीं है कि इन सांसदों ने अपनी अनुपस्थिति के बारे में पार्टी को पहले से सूचित किया था या नहीं।
नोटिस भेजने की तैयारी
सूत्रों के अनुसार, पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है और अनुपस्थित सांसदों से स्पष्टीकरण मांगने के लिए नोटिस जारी करने का निर्णय लिया है। गैरहाजिर सांसदों में नितिन गडकरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, गिरिराज सिंह, सीआर पाटिल, शांतनु ठाकुर, बीवाई राघवेंद्र, विजय बघेल, उदयराजे भोंसले, जगन्नाथ सरकार, जयंत कुमार रॉय, वी सोमन्ना और चिंतामणि महाराज जैसे नाम शामिल हैं।
विधेयक पर हंगामा और वोटिंग
मंगलवार को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक लोकसभा में पेश किया। विधेयक पेश किए जाने के दौरान विपक्ष ने जमकर हंगामा किया, लेकिन अंततः विधेयक को पेश करने के लिए वोटिंग हुई। इस वोटिंग में 269 सांसदों ने विधेयक के पक्ष में और 196 सांसदों ने इसके खिलाफ मतदान किया। इसके बाद विधेयक को आगे विचार-विमर्श के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेज दिया गया।
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक का महत्व
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का उद्देश्य देशभर में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराना है। सरकार का दावा है कि इससे समय और धन की बचत होगी और प्रशासनिक प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी। हालांकि, विपक्षी दलों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है और इसे लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताया है।
सांसदों की अनुपस्थिति पर पार्टी नाराज
पार्टी सूत्रों के अनुसार, वरिष्ठ नेताओं और सांसदों की अनुपस्थिति को बीजेपी नेतृत्व ने अनुशासनहीनता के रूप में देखा है। माना जा रहा है कि इन सांसदों को जवाब देने के लिए कहा जाएगा कि वे इतने महत्वपूर्ण मौके पर सदन से गैरहाजिर क्यों थे। पार्टी अपने सांसदों से सख्ती से अपेक्षा करती है कि वे ऐसे अहम मौकों पर उपस्थित रहें, खासकर जब विपक्ष विधेयक का विरोध कर रहा हो।
आगे की कार्रवाई
बीजेपी का यह कदम स्पष्ट संकेत देता है कि वह अनुशासनहीनता के मामलों को हल्के में नहीं लेगी। नोटिस का जवाब मिलने के बाद पार्टी यह तय करेगी कि आगे क्या कार्रवाई की जाए। अगर अनुपस्थित सांसदों के स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं पाए गए, तो उन्हें अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
बीजेपी द्वारा इस कदम से यह साफ हो गया है कि पार्टी अपने सांसदों से सख्त अनुशासन और जिम्मेदारी की अपेक्षा करती है। ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ जैसे महत्वपूर्ण विधेयक पर संसद में मौजूद रहना न केवल पार्टी के लिए बल्कि सरकार की प्राथमिकताओं के लिए भी बेहद अहम है। अनुपस्थित सांसदों पर नोटिस और संभावित कार्रवाई यह सुनिश्चित करेगी कि भविष्य में इस तरह की लापरवाही न हो।