
अमृतसर शहर में मंगलवार देर रात अचानक अंधेरा छा गया, जब प्रशासन ने रात करीब डेढ़ बजे ब्लैकआउट का आदेश जारी किया। रातभर चली इस कार्रवाई ने लोगों में बेचैनी और कौतूहल दोनों ही बढ़ा दिए। इस कदम के पीछे की वजह एक अज्ञात धमाके की आवाज बताई जा रही है, जो शहर के कई इलाकों में सुनाई दी।
धमाके की आवाज से मचा हड़कंप
मंगलवार की रात जैसे ही लोग सामान्य दिनचर्या के बाद सोने की तैयारी कर रहे थे, अचानक कहीं से तेज़ धमाके जैसी आवाज सुनाई दी। कुछ लोगों ने इसे आसमान में महसूस किया तो कुछ को ज़मीन में कंपन सा महसूस हुआ। तुरंत ही सोशल मीडिया पर चर्चा शुरू हो गई कि यह आवाज किस कारण से आई।
पुलिस कमिश्नर ने दी जानकारी
अमृतसर के पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत भुल्लर ने खुद इस पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने बताया, “मैंने भी यह आवाज सुनी थी। हमारी टीम तुरंत मौके पर पहुंची और इलाके की जांच की। कोई नुकसान या संदिग्ध वस्तु नहीं मिली। लेकिन एहतियात के तौर पर ब्लैकआउट का फैसला लिया गया।”
पहले से हो चुकी थी मॉक ड्रिल की तैयारी
दिलचस्प बात यह रही कि उसी दिन रात 10:30 बजे से 11 बजे तक नेशनल सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल के तहत पहले ही एक ब्लैकआउट किया गया था। यह एक नियोजित अभ्यास था, जो देश के अन्य प्रमुख शहरों के साथ अमृतसर में भी किया गया था। इस दौरान लाइट्स आधे घंटे के लिए बंद की गई थीं और फिर दोबारा चालू कर दी गई थीं।
धमाके के बाद दोबारा ब्लैकआउट
मॉक ड्रिल के कुछ समय बाद ही जब धमाके की आवाज आई, तब प्रशासन ने रात डेढ़ बजे दोबारा ब्लैकआउट लागू किया। इस बार यह अघोषित और एहतियातन किया गया। जिला जनसंपर्क अधिकारी (DPRO) ने बताया कि “पूरी सावधानी बरतते हुए दोबारा ब्लैकआउट प्रक्रिया शुरू की गई। यह निर्णय सुरक्षा के लिहाज से जरूरी समझा गया।”
कुछ क्षेत्रों में बाद में बहाल हुई लाइट
हालांकि, ब्लैकआउट के दौरान भी कुछ खास इलाकों में लाइट बहाल कर दी गई थी, जैसे कि एयरपोर्ट क्षेत्र, जहां रात करीब 3:15 बजे तक बिजली वापस दे दी गई। बाकी शहर में भी धीरे-धीरे हालात सामान्य होने लगे।
लोगों में सवाल, लेकिन प्रशासन ने दिखाई सतर्कता
रातभर चले इस ब्लैकआउट ने शहरवासियों को असमंजस में डाले रखा। कई लोगों को लगा कि यह कोई बड़ी घटना है, जबकि कुछ ने इसे सुरक्षा अभ्यास माना। प्रशासन ने जहां एक ओर सतर्कता दिखाई, वहीं आम नागरिकों से शांति बनाए रखने की अपील भी की।
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अमृतसर में रात का ब्लैकआउट एक सतर्क प्रशासनिक कदम था। हालांकि धमाके की आवाज का कोई ठोस कारण नहीं मिला, लेकिन संभावित खतरे को टालने के लिए जिला प्रशासन ने जो कार्रवाई की, वह जिम्मेदारी का संकेत देती है। ऐसी घटनाएं यह याद दिलाती हैं कि संकट के समय तैयार रहना कितना ज़रूरी है।