दिवाली का पर्व भारत में खुशी और रोशनी का प्रतीक है, लेकिन इस दौरान बढ़ते प्रदूषण की चिंता भी गंभीर होती जा रही है। विशेष रूप से मुंबई में, जहां हवा की गुणवत्ता पिछले कुछ वर्षों में काफी बिगड़ चुकी है। इसे देखते हुए, बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) ने दिवाली पर पटाखे जलाने के लिए कुछ गाइडलाइंस जारी की हैं। इन दिशा-निर्देशों का पालन करना आवश्यक है, ताकि हम सभी मिलकर इस पर्व को सुरक्षित और स्वच्छ तरीके से मना सकें।
बीएमसी की गाइडलाइंस
- पटाखों का समय: बीएमसी के अनुसार, मुंबईवासी रात 10.00 बजे के बाद पटाखे नहीं फोड़ सकते। यह कदम ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उठाया गया है।
- कम पटाखों का उपयोग: सभी से अनुरोध किया गया है कि वे पटाखे जलाने में संयम बरतें। इससे वायु और ध्वनि प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी।
- खुले स्थान पर जलाना: पटाखों को खुले और हवादार इलाकों में ही जलाना चाहिए। भीड़भाड़ वाली गलियों और स्थानों पर पटाखे जलाने से बचना चाहिए।
- स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं: प्रदूषण के कारण गर्भवती महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग और अस्थमा जैसी समस्याओं से ग्रसित लोग अधिक प्रभावित हो सकते हैं। इसलिए, इन गाइडलाइंस का पालन करना जरूरी है।
BMC की विशेष अपीलें
- रोशनी का त्योहार: दिवाली को रोशनी के त्योहार के रूप में मनाने को प्राथमिकता दें और ध्वनि तथा वायु प्रदूषण से बचें।
- ध्वनि रहित पटाखे: ऐसे पटाखों का प्रयोग करें जो कम ध्वनि उत्पन्न करते हों। इससे न केवल पर्यावरण की सुरक्षा होगी, बल्कि यह आपके आसपास के लोगों के लिए भी बेहतर होगा।
- सुरक्षा को प्राथमिकता: पटाखे जलाते समय सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दें। हमेशा बाल्टी में पानी या रेत रखकर रखें ताकि किसी भी आपात स्थिति में जल्दी प्रतिक्रिया कर सकें।
- परिधान: पटाखे जलाते समय सूती कपड़े पहनें और ढीले (बड़े) कपड़ों से बचें, क्योंकि ये जलने पर अधिक खतरा पैदा कर सकते हैं।
- साथी होना जरूरी: बच्चों के साथ बड़े लोगों का होना आवश्यक है, ताकि सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
- आग से सावधानी: पटाखे जलाते समय सूखे पत्ते, कागज या अन्य सामग्री का उपयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे आग लगने का खतरा बढ़ जाता है।
- पर्यावरण के प्रति जागरूकता: दिवाली का पर्व न केवल खुशी का अवसर है, बल्कि यह हमें अपने पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का भी एहसास कराता है। इस बार दीवाली मनाते समय हम सभी को मिलकर प्रदूषण को कम करने का प्रयास करना चाहिए।
दिवाली का पर्व हमारे जीवन में खुशियों और रोशनी का संचार करता है, लेकिन इसे मनाने का तरीका भी जिम्मेदारी और सावधानी से होना चाहिए। बीएमसी द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस हमें इस बात की याद दिलाती हैं कि कैसे हम अपनी परंपराओं को निभाते हुए अपने स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं। इस साल दिवाली को एक स्वच्छ और सुरक्षित तरीके से मनाएं और अपने आसपास के लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करें।
इस दिवाली, चलिए हम सभी मिलकर अपने वातावरण को स्वच्छ रखने का संकल्प लेते हैं और इसे एक यादगार एवं सुरक्षित पर्व बनाते हैं!