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पंजाब कैबिनेट ने राज्य की नई आबकारी नीति को मंजूरी दे दी है। इस बार भी ई-टेंडरिंग प्रक्रिया अपनाई जाएगी, और सरकार का राजस्व लक्ष्य बढ़ाकर ₹11,020 करोड़ कर दिया गया है। वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने बताया कि अकाली-भाजपा सरकार के समय आबकारी नीति से केवल ₹6,100 करोड़ का राजस्व मिलता था। आम आदमी पार्टी की सरकार ने 2024-25 में इसे ₹10,145 करोड़ का लक्ष्य तय किया था, जिसे पार करते हुए ₹10,200 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। अब नई नीति के तहत इसे ₹11,020 करोड़ तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है।
207 ग्रुप होंगे, शराब कोटा बढ़ाया गया
नई नीति के तहत 207 ग्रुप बनाए जाएंगे। हर ग्रुप का रेवेन्यू साइज ₹40 करोड़ रखा गया है, जिसमें 25% तक का वेरिएशन संभव होगा। इसके अलावा, देसी शराब का कोटा 3% बढ़ा दिया गया है।
सेना के पूर्व सैनिकों को राहत
पूर्व सैनिकों को राहत देते हुए थोक लाइसेंस फीस को ₹5 लाख से घटाकर ₹2.5 लाख कर दिया गया है। इससे उन्हें शराब के लाइसेंस लेना आसान होगा।
शराब स्टोरेज की सीमा बढ़ी
अब फार्महाउस में शराब स्टोर करने की लिमिट भी बढ़ा दी गई है। पहले 12 बोतलें रखने की अनुमति थी, जिसे अब बढ़ाकर 36 बोतलें कर दिया गया है।
बीयर की दुकान खोलना हुआ सस्ता
बीयर की दुकानों के लाइसेंस की फीस में भी बड़ी कटौती की गई है। पहले प्रति दुकान ₹2 लाख का शुल्क लगता था, जिसे अब घटाकर ₹25,000 कर दिया गया है। इससे राज्य में बीयर कारोबार को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
नए बॉटलिंग प्लांट लगाने की मंजूरी
पंजाब सरकार ने राज्य में नए बॉटलिंग प्लांट लगाने को भी मंजूरी दे दी है। इससे राज्य में शराब उत्पादन बढ़ेगा और सरकार को अधिक राजस्व मिलेगा।
गौ सेवा के लिए सेस बढ़ाया गया
गौ कल्याण के लिए लगने वाले सेस में भी बढ़ोतरी की गई है। पहले ₹1 प्रति प्रूफ लीटर शुल्क लिया जाता था, जिसे अब बढ़ाकर ₹1.50 प्रति प्रूफ लीटर कर दिया गया है। इससे पहले गौ कल्याण कोष में ₹16 करोड़ की राशि जुटाई जाती थी, लेकिन अब यह ₹24 करोड़ तक बढ़ने की उम्मीद है।
क्या होगा असर?
नई आबकारी नीति से पंजाब सरकार को अधिक राजस्व मिलेगा और शराब कारोबार में पारदर्शिता बढ़ेगी। साथ ही, पूर्व सैनिकों और छोटे व्यापारियों को फायदा होगा। लेकिन, शराब की बढ़ती उपलब्धता को लेकर सामाजिक स्तर पर विरोध भी हो सकता है।
पंजाब सरकार की नई आबकारी नीति कई अहम बदलावों के साथ आई है। इसका मकसद राजस्व बढ़ाना और शराब व्यापार को व्यवस्थित करना है। अब देखना होगा कि नई नीति राज्य की अर्थव्यवस्था और समाज पर क्या असर डालती है।