
सुप्रीम कोर्ट ने बिक्रम सिंह मजीठिया से जुड़ी ड्रग्स मामले की सुनवाई के दौरान बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने साफ निर्देश दिए हैं कि बिक्रम सिंह मजीठिया मीडिया में SIT या उसके किसी सदस्य के खिलाफ कोई बयान नहीं दे सकते।
कोर्ट ने चेतावनी दी है कि SIT (Special Investigation Team) की जांच प्रक्रिया में मजीठिया को पूरी तरह सहयोग करना होगा। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो अदालत के पास उनकी ज़मानत रद्द करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।
कोर्ट के स्पष्ट निर्देश:
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बिक्रम सिंह मजीठिया SIT की जांच प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले कोई भी बयान मीडिया में नहीं देंगे।
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SIT के किसी भी सदस्य के खिलाफ सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती।
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जब भी SIT उन्हें जांच के लिए बुलाएगी, मजीठिया को हाज़िर होना अनिवार्य है।
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सहयोग नहीं करने की स्थिति में उनकी जमानत रद्द की जा सकती है।
यह आदेश उस समय आया है जब पंजाब में मजीठिया के खिलाफ ड्रग्स केस को लेकर लगातार चर्चाएं हो रही थीं और मीडिया में बयानबाज़ी भी तेज हो गई थी।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से मजीठिया पर दबाव और बढ़ गया है कि वे जांच में गंभीरता से सहयोग करें और किसी भी तरह की बयानबाज़ी से दूर रहें। यह निर्देश साफ तौर पर यह दिखाते हैं कि अदालत इस संवेदनशील मामले में कोई ढिलाई नहीं बरतना चाहती।
अब देखना होगा कि मजीठिया कोर्ट के निर्देशों का कितना पालन करते हैं और SIT के साथ जांच में कितना सहयोग करते हैं। अदालत ने फिलहाल इस मामले पर अगली सुनवाई की तारीख नहीं दी है, लेकिन सभी पक्षों को साफ संदेश दे दिया है कि जांच को प्रभावित करना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।