
पंजाब विधानसभा के बजट सत्र की कार्यवाही आज अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। आज सत्र का आखिरी दिन था, जिसमें कई अहम चर्चाएं और फैसले लिए गए।
कैसे हुई कार्यवाही की शुरुआत?
सत्र की शुरुआत प्रश्नकाल से हुई, जिसमें विधायकों और मंत्रियों के बीच विभिन्न मुद्दों पर सवाल-जवाब हुए। इसके बाद ज़ीरो आवर में गंभीर मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया।
पेश की गईं अहम रिपोर्ट्स
सत्र के दौरान पंजाब स्टेट कमीशन फॉर एनआरआई की वार्षिक रिपोर्ट समेत कुल 7 रिपोर्टें पेश की गईं। इनमें विभिन्न सरकारी विभागों और योजनाओं की जानकारी दी गई।
जल प्रदूषण रोकने के लिए प्रस्ताव पास
पंजाब के संसदीय मामलों के मंत्री डॉ. रवजोत सिंह ने जल प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण और पानी की शुद्धता बहाल करने से संबंधित प्रस्ताव सदन में पेश किया। यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास कर दिया गया।
चार नई विधानसभा समितियों का गठन
इसके अलावा, विधानसभा में चार नई समितियों के गठन के प्रस्ताव भी पास किए गए। इन समितियों का काम विभिन्न विभागों की नीतियों और योजनाओं की निगरानी करना होगा।
ये अहम बिल हुए पास
आज के सत्र में तीन महत्वपूर्ण विधेयकों को मंजूरी दी गई।
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द इंडियन स्टैंप (पंजाब संशोधन) बिल-2025
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यह बिल पंजाब के वित्त मंत्री हरदीप सिंह मुंडियां द्वारा पेश किया गया।
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इसका मकसद राज्य में स्टांप शुल्क से जुड़ी प्रक्रियाओं में सुधार करना और पारदर्शिता लाना है।
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द ट्रांसफर ऑफ प्रिजनर्स (पंजाब संशोधन) बिल-2025
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इसे कैबिनेट मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर ने सदन में पेश किया।
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इस बिल का उद्देश्य कैदियों के स्थानांतरण की प्रक्रिया को अधिक प्रभावी और न्यायपूर्ण बनाना है।
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द पंजाब रेगुलेशन ऑफ क्रशर यूनिट्स एंड स्टॉकिस्ट्स एंड रिटेलर्स बिल-2025
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इसे कैबिनेट मंत्री वरिंदर कुमार गोयल ने सदन में पेश किया।
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यह बिल क्रशर यूनिट्स (पत्थर तोड़ने वाले उद्योग), स्टॉकिस्ट्स और रिटेलर्स को रेगुलेट करने के लिए लाया गया है, ताकि अवैध खनन और प्रदूषण को रोका जा सके।
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क्या है आगे की रणनीति?
बजट सत्र के समाप्त होने के बाद अब सरकार द्वारा पारित विधेयकों को लागू करने की प्रक्रिया शुरू होगी। खासकर जल प्रदूषण को रोकने और कैदियों के सुधार से जुड़े फैसले महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं।
इस बजट सत्र में महत्वपूर्ण विधेयकों और प्रस्तावों को मंजूरी मिली, जिससे पंजाब के प्रशासनिक और पर्यावरणीय सुधारों को बढ़ावा मिलेगा। अब यह देखना होगा कि सरकार इन फैसलों को ज़मीनी स्तर पर कितनी जल्दी लागू कर पाती है।