धनतेरस का पर्व भारत में सोने और चांदी की खरीदारी का प्रमुख अवसर माना जाता है। इस बार देशभर में इस पर्व पर एक बड़ा उत्सव देखने को मिला, जिसमें सोने और चांदी की रिकॉर्ड बिक्री हुई। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के अनुसार, इस धनतेरस पर लगभग 60 हजार करोड़ रुपये का कारोबार हुआ, जबकि दिवाली तक यह आंकड़ा एक लाख करोड़ रुपये के पार जाने का अनुमान है।
बिक्री के आंकड़े
इस वर्ष धनतेरस पर लोगों ने 25 टन सोने और 250 टन चांदी की खरीदारी की। अकेले सोने की बिक्री का आंकड़ा करीब 20 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया। वहीं, चांदी की बिक्री लगभग 2,500 करोड़ रुपये की रही। यह बिक्री केवल ज्वेलर्स के माध्यम से नहीं, बल्कि घरेलू बर्तनों और अन्य वस्तुओं की खरीदारी में भी हुई। भारतीय मानक ब्यूरो में लगभग 2 लाख पंजीकृत ज्वेलर्स हैं, जिन्होंने इस अवसर पर बड़ी मात्रा में सोने और चांदी की बिक्री की।
बढ़ती मांग और कीमतें
पिछले एक साल में सोने की कीमतों में भारी वृद्धि देखी गई है। 2024 में ही सोने की कीमतों में 30 फीसदी से अधिक की तेजी आई है। पिछले साल धनतेरस पर सोने का भाव 60 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास था, जबकि अब यह बढ़कर 80 हजार रुपये हो गया है। चांदी के मामले में भी इसी प्रकार का उछाल देखने को मिला है, जहां पिछले साल यह 70 हजार रुपये प्रति किलोग्राम था, जो अब एक लाख रुपये के करीब पहुंच गया है।
खरीदारी की परंपरा
धनतेरस के दिन सोने, चांदी, बर्तन, वाहन, मोबाइल, कपड़े और फर्नीचर खरीदना शुभ माना जाता है। इस दिन बड़े पैमाने पर लोग झाड़ू भी खरीदते हैं, जो सफाई और समृद्धि का प्रतीक है। इस बार बाजारों में उमड़ी भीड़ ने त्योहार की धूमधाम को और बढ़ा दिया। लोगों ने न केवल ज्वेलरी बल्कि इलेक्ट्रॉनिक्स और वाहनों की भी खरीदारी की, जिससे त्योहार का माहौल और भी जीवंत हो गया।
व्यापारियों की तैयारियाँ
इस फेस्टिव सीजन के लिए कारोबारियों ने पहले से ही तैयारी की थी, जिससे बिक्री में बढ़ोतरी हुई। चीन में बने सामानों की डिमांड में गिरावट के कारण भारत के बाजारों में स्वदेशी उत्पादों की मांग बढ़ी है, जिससे भारतीय व्यापारियों को लाभ हुआ है।
धनतेरस पर हुई बिक्री ने न केवल सोने और चांदी के बाजार को बल दिया है, बल्कि यह दर्शाता है कि भारतीय उपभोक्ता इस अवसर पर खरीदारी करने के लिए कितने उत्सुक हैं। आर्थिक दृष्टिकोण से भी यह एक सकारात्मक संकेत है, जो आगामी त्यौहारी सीजन के लिए शुभ संकेत है। इस प्रकार, धनतेरस ने न केवल भारतीय परंपराओं को जीवित रखा है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी सुदृढ़ बनाने में योगदान दिया है।