भारत में 13 नवंबर को 13 राज्यों की 47 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं। यह चुनाव विभिन्न राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण हैं, खासकर 2024 के आम चुनावों के दृष्टिगत। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख आज है, जिससे सभी पार्टियों की तैयारियों में तेजी आई है।
मध्यप्रदेश की बुधनी सीट का महत्व
मध्यप्रदेश में उपचुनाव के लिए सबसे अहम बुधनी सीट मानी जा रही है, जो केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की परंपरागत सीट है। भाजपा के प्रत्याशी रमाकांत भार्गव ने शुक्रवार को नामांकन दाखिल किया। इस सीट को लेकर भाजपा में कुछ अंदरूनी नाराजगी भी देखने को मिल रही है, खासकर उन नेताओं के बीच जो चाहते थे कि उन्हें यहां से टिकट दिया जाए।
राजस्थान में त्रिकोणीय मुकाबला
राजस्थान की 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं। इनमें से चार सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है, जबकि तीन सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना है। कांग्रेस के अंदर एक पूर्व सांसद के भतीजे ने नाराजगी जताते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है, जो पार्टी की आंतरिक कलह को दर्शाता है।
बिहार में परिवारवाद का प्रभाव
बिहार में चार सीटों बेलागंज, इमामगंज, तरारी और रामगढ़ पर उपचुनाव हो रहे हैं। इस बार परिवारवाद की स्पष्ट छाप देखने को मिल रही है। बेलागंज में आरजेडी के सांसद सुरेंद्र यादव के पुत्र विश्वनाथ सिंह को टिकट मिला है, जबकि इमामगंज में हम पार्टी के सुप्रीमो जीतनराम मांझी की बहू दीपा मांझी को उम्मीदवार बनाया गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि राजनीतिक परिवारों का वर्चस्व अब भी कायम है।
विभिन्न राज्यों में सीटों का वितरण
उत्तर प्रदेश में 9, राजस्थान में 7, पश्चिम बंगाल में 6, असम में 5, बिहार और पंजाब में 4-4, कर्नाटक में 3, और केरल, मध्य प्रदेश, और सिक्किम में 2-2 सीटों पर उपचुनाव होंगे। गुजरात, उत्तराखंड, मेघालय और छत्तीसगढ़ की एक-एक सीट पर भी उपचुनाव होंगे। उत्तराखंड की केदारनाथ विधानसभा सीट पर 20 नवंबर को मतदान होगा।
जाति आधारित टिकट वितरण
उत्तर प्रदेश में उपचुनाव के लिए एनडीए और सपा ने सभी 9 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है। जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए प्रत्याशियों का चयन किया गया है। भाजपा ने 8 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, जिनमें से 5 पिछड़े वर्ग के, 2 ब्राह्मण, और एक दलित प्रत्याशी है।
उपचुनावों में दलों की रणनीतियाँ और उम्मीदवारों का चयन आगामी विधानसभा चुनावों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। यह चुनाव न केवल पार्टियों के लिए बल्कि मतदाताओं के लिए भी एक परीक्षा साबित होंगे। 23 नवंबर को सभी नतीजे घोषित होंगे, जो यह तय करेंगे कि कौन सी पार्टी किस दिशा में बढ़ रही है। इन उपचुनावों में शामिल होने वाले उम्मीदवारों की राजनीति और जनता के प्रति उनकी जिम्मेदारी का एहसास होना चाहिए, ताकि लोकतंत्र की मजबूत नींव रखी जा सके।