
कनाडा में पढ़ाई का सपना देखने वाले भारतीय छात्रों को इस समय एक बड़ा झटका लगा है। कनाडा सरकार ने स्टडी परमिट (वीज़ा) देने में कड़ी कटौती की है। 2025 की पहली तिमाही (जनवरी से मार्च) के दौरान केवल 30,640 भारतीय छात्रों को स्टडी परमिट जारी किए गए, जबकि 2024 की इसी अवधि में ये संख्या 44,295 थी। यह लगभग 31% की गिरावट है।
अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर बढ़ती पाबंदियां
यह गिरावट सिर्फ भारत के छात्रों के लिए ही नहीं, बल्कि दूसरे देशों के विद्यार्थियों के लिए भी देखी जा रही है। 2024 की पहली तिमाही में कनाडा ने कुल 1,21,070 स्टडी परमिट जारी किए थे, जबकि 2025 में यह आंकड़ा घटकर 96,015 रह गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में यह गिरावट और गहरी हो सकती है।
कनाडा सरकार क्यों ले रही है कड़े फैसले?
2023 के अंत से ही कनाडा सरकार ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या को सीमित करने के लिए कई सख्त कदम उठाए हैं। इसके पीछे कई कारण हैं:
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देश में तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या
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रिहायश की कमी
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स्वास्थ्य सेवाओं और ट्रांसपोर्ट सिस्टम पर बढ़ता बोझ
28 अप्रैल 2025 को हुए संघीय चुनावों के बाद, कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने साफ कहा है कि 2027 तक अस्थायी निवासियों की संख्या, जिनमें विदेशी छात्र और कामगार शामिल हैं, कुल आबादी के 5% से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए। इसका मतलब है कि आने वाले वर्षों में और भी सख्ती देखी जा सकती है।
स्टडी परमिट की सीमा तय
सरकारी आंकड़ों के अनुसार:
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2023 में कनाडा ने कुल 6,81,155 स्टडी परमिट जारी किए, जिनमें से 2,78,045 भारतीय छात्रों को दिए गए।
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2024 में यह संख्या घटकर 5,16,275 हो गई और भारतीय छात्रों की गिनती 1,88,465 तक सिमट गई।
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2025 के लिए IRCC (इमिग्रेशन, रिफ्यूजी एंड सिटिजनशिप कनाडा) ने स्टडी परमिट की ऊपरी सीमा 4,37,000 तय की है।
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यह संख्या 2026 तक स्थिर रहेगी, यानी इसमें कोई बढ़ोतरी नहीं होगी।
फाइनेंशियल योग्यता भी की गई सख्त
1 जनवरी 2024 से कनाडा ने स्टडी वीज़ा के लिए वित्तीय योग्यता की शर्तों को भी कड़ा बना दिया है। अब एक विद्यार्थी को यह साबित करना होगा कि उसके पास कम से कम 20,635 कनाडाई डॉलर (लगभग ₹12.7 लाख) की राशि है। पहले यह सीमा 10,000 डॉलर (लगभग ₹6.14 लाख) थी।
DLIs से कन्फर्मेशन जरूरी
7 दिसंबर 2023 को IRCC ने यह भी ऐलान किया कि अब हर नई वीज़ा एप्लिकेशन के साथ, जिस कॉलेज या यूनिवर्सिटी में छात्र ने दाखिला लिया है (DLIs – Designated Learning Institutions), उन्हें एक आधिकारिक कन्फर्मेशन लेटर जारी करना होगा। इसके बिना वीज़ा नहीं मिलेगा।
नतीजा: छात्रों के लिए और मुश्किलें
इन नई नीतियों और सीमाओं के चलते कनाडा में पढ़ाई करने की योजना बना रहे भारतीय छात्रों के लिए वीज़ा पाना पहले से कहीं ज्यादा मुश्किल हो गया है। न सिर्फ सीटें कम हो गई हैं, बल्कि पैसे और दस्तावेजों की जांच भी सख्त हो चुकी है।
छात्रों को अब कनाडा की बजाए दूसरे देशों जैसे ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी या अमेरिका के विकल्प भी सोचने पड़ सकते हैं। आने वाले सालों में कनाडा में पढ़ाई का सपना कुछ छात्रों के लिए महंगा और कठिन साबित हो सकता है।