कनाडा और भारत के बीच हालिया तनाव के बीच, कनाडा की सरकार इमिग्रेशन और शरण प्रणाली में बदलाव के लिए सख्त कदम उठाने की योजना बना रही है। कनाडा के इमिग्रेशन मंत्री मार्क मिलर ने हाल ही में घोषणा की है कि शरण से संबंधित मामलों की प्रक्रिया को तेज करने और सिस्टम में सुधार के उपाय प्रस्तावित किए जाएंगे। यह कदम विशेष रूप से उन मामलों को लेकर उठाए जा रहे हैं, जहां पंजाब के अपराधियों, गैंगस्टरों और आतंकवादियों को शरण देकर कनाडा की आंतरिक सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
इमिग्रेशन नीति में प्रस्तावित बदलाव
- एलएमआईए प्रणाली में कटौती
कनाडा सरकार ने लेबर मार्केट इम्पैक्ट असेसमेंट (एलएमआईए) प्रणाली के तहत मिलने वाले 50 से 200 अंकों की सुविधा को खत्म करने पर विचार शुरू कर दिया है। यह अंक कनाडा में पीआर (स्थायी निवास) प्राप्त करने की प्रक्रिया को आसान बनाते थे। इमिग्रेशन मंत्री के अनुसार, इस प्रणाली का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हो रहा था, और इसे रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे। - शरण मामलों की तेज प्रक्रिया
कनाडा में शरण मामलों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। अक्टूबर 2024 तक लंबित शरण दावों की संख्या 2.6 लाख से अधिक हो गई है। इसको ध्यान में रखते हुए, सरकार ने शरण आवेदनों को तेजी से निपटाने और निराधार दावों को खारिज करने की प्रक्रिया शुरू करने की योजना बनाई है। - वीज़ा नीति में बदलाव
कनाडा ने हाल ही में 10 साल की अवधि वाले मल्टीपल एंट्री वीजा जारी करना बंद कर दिया है और अधिकांश मामलों में अब केवल सिंगल एंट्री वीजा ही जारी किए जा रहे हैं। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय छात्रों के वीजा आवेदनों की संख्या घटाकर 4,37,000 कर दी गई है, जो पहले की तुलना में काफी कम है।
पंजाबी समुदाय में असंतोष
पंजाबी समुदाय, जो कनाडा में एक बड़ा प्रवासी समूह है, इस नई नीति को लेकर निराशा और आक्रोश जता रहा है। कई लोगों का मानना है कि कनाडा ने अपने हितों की रक्षा के लिए पंजाब के अपराधियों और आतंकवादियों को शरण देकर न केवल अपने देश की सुरक्षा को खतरे में डाला, बल्कि भारत के साथ संबंध भी खराब कर लिए।
कनाडा के प्रसिद्ध लेखक जोगिंदर बासी ने इस स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कनाडा ने खालिस्तानी और आतंकवादी तत्वों को पनाह दी है, जिससे देश के हालात बिगड़ रहे हैं। अब जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना बढ़ गई है और कई देशों के साथ संबंध खराब हो चुके हैं, तो सरकार शरण प्रणाली पर सख्ती दिखा रही है।
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
इमिग्रेशन और वीजा नीतियों में बदलाव का कनाडा की अर्थव्यवस्था और समाज पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। जहां एक ओर इससे प्रवासी श्रमिकों की संख्या में कमी आएगी, वहीं दूसरी ओर उन छात्रों और कामगारों के लिए मुश्किलें बढ़ेंगी, जो कनाडा में स्थायी रूप से बसने की योजना बना रहे हैं।
कनाडा की ये नई नीतियां इस बात का संकेत देती हैं कि देश अब अपनी शरण और इमिग्रेशन प्रणालियों का कड़ा निरीक्षण करने के लिए तैयार है। हालांकि, इन कदमों से कनाडा की अंतरराष्ट्रीय छवि और वहां रहने वाले प्रवासियों के जीवन पर क्या असर पड़ेगा, यह देखने वाली बात होगी।