6 जनवरी 2025 को कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने प्रधानमंत्री और लिबरल पार्टी के नेता के पद से इस्तीफा दे दिया है। कनाडाई अखबार ग्लोब एंड मेल के मुताबिक, ट्रूडो ने कहा है कि वह नए नेता के चयन तक पद पर बने रहेंगे। यह फैसला उन्होंने सांसदों और पार्टी के भीतर बढ़ते विरोध के बाद लिया। इस्तीफे की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा, “मैं प्रधानमंत्री और पार्टी नेता के रूप में इस्तीफा देता हूं। पार्टी जब तक नया नेता नहीं चुनती, मैं इस पद पर रहूंगा।” उन्होंने बताया कि लिबरल पार्टी के अध्यक्ष से उन्होंने नई प्रक्रिया शुरू करने का अनुरोध किया है।
क्या बोले ट्रूडो?
इस्तीफे की घोषणा के बाद मीडिया ने ट्रूडो से उनके अनुभव और पछतावे के बारे में सवाल किए। ट्रूडो ने कहा, “मुझे एक पछतावा है कि मैं कनाडा में सरकार बनाने की प्रणाली को बदल नहीं सका।” उन्होंने यह भी कहा कि वह चाहते थे कि मतदाता चुनाव में अपनी दूसरी और तीसरी प्राथमिकता के विकल्प भी चुन सकें। ट्रूडो का मानना था कि यह सुधार लोकतंत्र को और मजबूत करता, लेकिन इसे लागू करने के लिए उन्हें अन्य पार्टियों का समर्थन नहीं मिल सका।
इस्तीफे की पृष्ठभूमि
जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी लंबे समय से आलोचनाओं के घेरे में थी। सरकार पर आरोप था कि वह महंगाई और रोजमर्रा के खर्चों को कम करने में नाकाम रही है। इन आर्थिक मुद्दों पर विपक्ष और जनता ने तीखी आलोचना की। हाल ही में अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का ऐलान किया, जिससे सरकार पर और दबाव बढ़ गया।
यह मुद्दा तब और गर्मा गया जब कनाडा की उप-प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपने इस्तीफे में कहा, “यदि अमेरिका कनाडा पर 25 प्रतिशत का टैरिफ लगाता है, तो इससे हमारी अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमरा जाएगी।” क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने ट्रूडो की आर्थिक नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री महंगी और अव्यवहारिक राजनीति में उलझे हुए हैं, जिसे देश की अर्थव्यवस्था वहन नहीं कर सकती।
अल्पमत सरकार पर गहराया संकट
क्रिस्टिया फ्रीलैंड के इस्तीफे के बाद ट्रूडो की अल्पमत सरकार का संकट और गहरा गया। सरकार को समर्थन देने वाली न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) ने जस्टिन ट्रूडो के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की धमकी दी। एनडीपी नेताओं ने आरोप लगाया कि ट्रूडो न केवल आर्थिक संकट का समाधान करने में विफल रहे हैं, बल्कि उनकी नीतियों ने समस्या को और बढ़ा दिया।
महंगाई और आर्थिक संकट का दबाव
महंगाई और बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने में असफलता ने जनता का ट्रूडो सरकार से मोहभंग कर दिया। खाने-पीने की चीजों और ऊर्जा लागत में बेतहाशा वृद्धि ने आम जनता की कमर तोड़ दी। इसके अलावा, सरकार के कई सांसदों ने भी ट्रूडो की नीतियों पर सवाल उठाए। पार्टी में विद्रोह की स्थिति बन गई, जिससे ट्रूडो का नेतृत्व कमजोर हुआ।
भविष्य का संकेत
जस्टिन ट्रूडो ने 2015 में सत्ता संभालने के बाद से अपनी प्रगतिशील नीतियों और अंतरराष्ट्रीय छवि के लिए पहचान बनाई थी। हालांकि, उनके नेतृत्व के अंतिम दौर में पार्टी को राजनीतिक और आर्थिक संकटों का सामना करना पड़ा। इस्तीफे के बाद अब लिबरल पार्टी को नया नेता चुनना होगा, जो पार्टी और देश के सामने खड़ी चुनौतियों का समाधान कर सके।
ट्रूडो का इस्तीफा कनाडाई राजनीति में बड़े बदलाव का संकेत है। उनके कार्यकाल की आलोचना और उपलब्धियां दोनों ही इतिहास में दर्ज रहेंगी। अब देखना यह होगा कि लिबरल पार्टी का अगला नेता इन चुनौतियों से कैसे निपटता है।