
अहमदाबाद में 12 जून को हुए एयर इंडिया प्लेन हादसे में अपनी जान गंवाने वाले पायलट कैप्टन सुमित सभरवाल को मंगलवार को उनके परिजनों, दोस्तों और आम लोगों ने अंतिम विदाई दी। उनका अंतिम संस्कार मुंबई के चकला विद्युत शवदाह गृह में किया गया। पूरे माहौल में गम और शोक की लहर थी। हर आंख नम थी और दिल दुख से भरे हुए थे।
पिता की हालत देख हर किसी की आंखें भर आईं
कैप्टन सुमित सभरवाल के 90 वर्षीय पिता पुष्करराज सभरवाल बेटे की अंतिम यात्रा में पूरी तरह टूटे हुए नजर आए। जब सुमित का पार्थिव शरीर उनके घर लाया गया, तो पुष्करराज जी हाथ जोड़कर बेटे के सामने खड़े हो गए। उन्होंने कुछ पल शांत प्रार्थना की, लेकिन खुद को संभाल नहीं पाए और फूट-फूटकर रोने लगे। उनका यह भावुक दृश्य देखकर वहां मौजूद हर किसी की आंखें भर आईं। उनकी बेटी ने उन्हें संभालने की कोशिश की और ढांढस बंधाया।
पार्थिव शरीर को लाया गया मुंबई
कैप्टन सुमित सभरवाल का शव अहमदाबाद से ताबूत में रखकर एयर इंडिया के विशेष विमान से मुंबई लाया गया। मुंबई हवाई अड्डे से शव को सीधे पवई स्थित जल वायु विहार सोसाइटी में उनके घर लाया गया, जहां परिजन पहले से मौजूद थे। वहां दोस्तों, रिश्तेदारों और स्थानीय लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। व्यवसायी निरंजन हीरानंदानी और स्थानीय विधायक दिलीप लांडे भी श्रद्धांजलि देने पहुंचे।
विमान हादसा जिसमें 270 से ज्यादा लोगों की गई जान
12 जून को एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 जो अहमदाबाद से लंदन जा रही थी, टेकऑफ के कुछ देर बाद मेडिकल कॉलेज परिसर में दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। विमान में 242 यात्री और चालक दल के सदस्य सवार थे। हादसा इतना भयावह था कि सिर्फ एक यात्री ही बच पाया, बाकी सभी की मौत हो गई। इसके अलावा जिस मेडिकल कॉलेज के परिसर में विमान गिरा, वहां मौजूद 29 लोगों की भी जान चली गई।
अनुभवी पायलट थे सुमित सभरवाल
कैप्टन सुमित सभरवाल एक अनुभवी पायलट थे, जिनके पास 8,200 घंटे से ज्यादा उड़ान का अनुभव था। वे मुंबई में अपने बुजुर्ग माता-पिता के साथ रहते थे और परिवार के बेहद करीब थे। उनके साथ फ्लाइट में फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर भी थे, जिनके पास 1,100 घंटे का उड़ान अनुभव था।
पूरे देश को सुमित पर गर्व
कैप्टन सुमित सभरवाल ने अपनी अंतिम उड़ान में अपनी ज़िम्मेदारी निभाते हुए आखिरी सांस ली। उनका साहस, सेवा भावना और अनुभव हमेशा याद किए जाएंगे। यह हादसा सिर्फ एक विमान दुर्घटना नहीं, बल्कि देश के एक काबिल सपूत की कहानी का अंत भी था, जिसे हर भारतीय सम्मान की नजर से देखेगा।
उनकी याद हमेशा हमारे दिलों में ज़िंदा रहेगी।