
चुनावों से पहले प्रशासनिक तैयारियों को लेकर उठे सवालों के बीच आज पंजाब के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) कार्यालय ने लुधियाना वेस्ट उपचुनाव के संदर्भ में एक पत्र को लेकर सफाई दी है। इस पत्र में राज्य सरकार से कुछ अफसरों की सूची (पैनल) मांगी गई थी, जिस पर मीडिया में तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं।
सीईओ कार्यालय ने साफ किया है कि यह पत्र किसी भी अफसर को हटाने की सिफारिश नहीं है, बल्कि यह एक सामान्य और नियमित प्रशासनिक प्रक्रिया का हिस्सा है, जो हर चुनाव से पहले अपनाई जाती है।
क्या कहा गया सीईओ कार्यालय की तरफ से?
सीईओ कार्यालय के बयान में कहा गया है,
> “हर चुनाव से पहले, मुख्य चुनाव अधिकारी का कार्यालय राज्य सरकार से अफसरों की एक अग्रिम सूची (पैनल) मांगता है। यह केवल एक तैयारी के तौर पर किया जाने वाला कदम होता है, ताकि यदि चुनाव आयोग को किसी अफसर को बदलने की ज़रूरत पड़े तो विकल्प पहले से मौजूद हो।”
इस स्पष्टीकरण में यह भी कहा गया कि
> “अब तक किसी भी अफसर को बदलने की सिफारिश नहीं की गई है। यह पैनल केवल भविष्य में संभावित ज़रूरत को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जाता है, ताकि प्रशासनिक कार्यकुशलता बनी रहे।”
मीडिया से अपील: बिना पुष्टि के न चलाएँ ख़बरें
मुख्य चुनाव अधिकारी के कार्यालय ने मीडिया से यह भी अनुरोध किया कि
> “कृपया किसी भी समाचार को प्रकाशित करने या प्रसारित करने से पहले हमारी कार्यालय से पुष्टि ज़रूर करें। अनुमान और अटकलों के आधार पर ख़बरें न चलाई जाएं।”
क्यों ज़रूरी होती है ऐसी सूची?
चुनाव के दौरान निष्पक्षता बनाए रखने के लिए चुनाव आयोग अक्सर अफसरों के तबादले करता है। ऐसे में समय रहते राज्य सरकार से अफसरों की सूची मंगवाना एक प्रशासनिक तैयारी होती है। इसका उद्देश्य सिर्फ़ यह होता है कि अगर किसी ज़िले में किसी अफसर को बदलना पड़े, तो आयोग के पास विकल्प उपलब्ध हों।
यह प्रक्रिया हर चुनाव से पहले होती है — चाहे लोकसभा हो, विधानसभा या फिर उपचुनाव। इसका मतलब यह नहीं होता कि किसी खास अफसर को हटाया जा रहा है या उसके काम पर सवाल खड़े किए गए हैं।
पंजाब के सीईओ कार्यालय ने स्पष्ट कर दिया है कि लुधियाना वेस्ट उपचुनाव को लेकर मंगवाई गई अफसरों की सूची केवल एक रूटीन प्रक्रिया है और अभी तक किसी को हटाने या बदलने का कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
मीडिया और जनता से अपील की गई है कि इस विषय पर अनावश्यक अटकलों से बचें और केवल अधिकारिक सूचना पर ही भरोसा करें। यह कदम सिर्फ़ यह सुनिश्चित करने के लिए है कि उपचुनाव के दौरान प्रशासनिक कामकाज में कोई रुकावट न आए और चुनाव निष्पक्ष व सुचारू रूप से संपन्न हो सके।