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चंडीगढ़ मेयर चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस को करारा झटका लगा है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) की उम्मीदवार हरप्रीत कौर बबला ने जीत दर्ज कर ली है। इस जीत के साथ ही बीजेपी ने नगर निगम में अपना दबदबा कायम रखा है। चुनाव में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के कुछ पार्षदों द्वारा क्रॉस वोटिंग करने की खबरें भी सामने आई हैं, जिससे विपक्षी गठबंधन को नुकसान उठाना पड़ा।
क्रॉस वोटिंग से बदला समीकरण
मेयर चुनाव में कुल 36 वोट पड़े, जिसमें बीजेपी को 19 वोट मिले, जबकि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन को केवल 17 वोटों से संतोष करना पड़ा। चंडीगढ़ नगर निगम में बीजेपी के कुल 16 पार्षद हैं, वहीं आम आदमी पार्टी के 13 और कांग्रेस के 6 पार्षद हैं। इसके अलावा एक निर्दलीय पार्षद भी है। लेकिन नतीजे से साफ है कि आप-कांग्रेस गठबंधन के कम से कम तीन पार्षदों ने क्रॉस वोटिंग की।
कैसे बदला समीकरण?
चुनाव के दौरान सदन में 35 पार्षद ही मौजूद थे, यानी एक सदस्य अनुपस्थित रहा। यदि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के पार्षद अपने गठबंधन के उम्मीदवार के समर्थन में मतदान करते, तो उन्हें 19 वोट मिल सकते थे। लेकिन क्रॉस वोटिंग के कारण गठबंधन को केवल 17 वोट ही मिले और बीजेपी को जीत हासिल हुई।
बीजेपी की रणनीतिक जीत
बीजेपी ने इस चुनाव में न सिर्फ जीत दर्ज की, बल्कि विपक्षी दलों के अंदरूनी मतभेदों को भी उजागर कर दिया। क्रॉस वोटिंग की वजह से आप और कांग्रेस की एकजुटता पर सवाल खड़े हो गए हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
बीजेपी नेताओं ने इसे अपनी पार्टी की नीतियों और संगठनात्मक मजबूती की जीत बताया, वहीं आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने इसे लोकतंत्र की हार करार दिया। आम आदमी पार्टी ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए नतीजों की जांच की मांग की है।
इस जीत के साथ ही बीजेपी ने चंडीगढ़ नगर निगम में अपनी पकड़ और मजबूत कर ली है, जबकि आप-कांग्रेस गठबंधन के लिए यह बड़ा झटका साबित हुआ है।