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पंजाब सरकार ने हाउसिंग और शहरी विकास विभाग की ई-नीलामी नीति में बदलाव करने का फैसला लिया है। सरकार का उद्देश्य संपत्तियों की बिक्री को आसान बनाना और अधिक राजस्व प्राप्त करना है।
इस फैसले से राज्य में आवासीय, वाणिज्यिक और औद्योगिक संपत्तियों की बिक्री में तेजी आएगी। सितंबर 2024 और अक्टूबर 2024 में की गई ई-नीलामी से मिले फीडबैक और नोएडा, ग्रेटर नोएडा, जयपुर और हरियाणा के विकास प्राधिकरणों की नीतियों को ध्यान में रखते हुए यह बदलाव किए गए हैं।
नीलामी में बिकने में देरी हो रही थी, अब नया फॉर्मूला लागू
अब तक कई प्लॉट और अन्य संपत्तियां बार-बार नीलामी में नहीं बिक पा रही थीं। इस समस्या को हल करने के लिए सरकार ने नई मूल्य निर्धारण नीति लागू की है।
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योग्यता शुल्क बढ़ाया गया:
- छोटे और मध्यम आकार की संपत्तियों के लिए योग्यता शुल्क बढ़ा दिया गया है।
- बड़े स्थानों के लिए योग्यता शुल्क में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
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अगर प्लॉट लगातार दो नीलामियों में नहीं बिकता:
- उसकी आरक्षित कीमत (Reserve Price) में 7.5% की कटौती होगी।
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अगर चार नीलामियों में भी प्लॉट न बिके:
- आरक्षित कीमत में कुल 15% कटौती की जाएगी।
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अगर छह नीलामियों में भी बिक्री न हो:
- आरक्षित कीमत 22.5% तक घटा दी जाएगी।
- यह निर्णय हाउसिंग और शहरी विकास विभाग के प्रमुख सचिव के स्तर पर होगा।
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अगर 22.5% कटौती के बाद भी बिक्री न हो:
- प्राधिकरण यह तय करेगा कि क्या और अधिक कटौती की जरूरत है।
- इसके लिए वित्त और लेखा समिति/बजट और समीक्षा समिति से मंजूरी लेनी होगी।
इस बदलाव से क्या फायदा होगा?
- तेजी से संपत्तियों की बिक्री होगी।
- लोगों को उचित कीमत पर प्लॉट और संपत्तियां मिलेंगी।
- सरकार को अधिक राजस्व मिलेगा।
- शहरों में नए प्रोजेक्ट और विकास कार्यों को बढ़ावा मिलेगा।
सरकार का उद्देश्य
सरकार चाहती है कि नीलामी में अधिक से अधिक लोग भाग लें और शहरों का तेजी से विकास हो। इस नए फॉर्मूले से पुरानी और बिना बिकने वाली संपत्तियों को भी खरीदार मिलेंगे और बाजार में तेजी आएगी।
इस फैसले से रियल एस्टेट सेक्टर को भी मजबूती मिलेगी और राज्य के विकास को नई रफ्तार मिलेगी।