चुनाव से जुड़े दस्तावेजों और इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स के दुरुपयोग को रोकने के लिए सरकार ने चुनाव संचालन नियम, 1961 में संशोधन किया है। अब सीसीटीवी कैमरों और वेबकास्टिंग फुटेज के साथ-साथ उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज सार्वजनिक निरीक्षण के लिए उपलब्ध नहीं होंगे। यह फैसला चुनाव आयोग (ईसी) की सिफारिश पर लिया गया है। केंद्रीय कानून मंत्रालय ने शुक्रवार को नियम 93(2)(ए) में संशोधन करते हुए इस बदलाव की घोषणा की।
नियम 93 में क्या है बदलाव?
नियम 93 के तहत अब तक चुनाव से संबंधित सभी दस्तावेज जनता के निरीक्षण के लिए खुले रहते थे। संशोधन के बाद केवल उन्हीं दस्तावेजों को सार्वजनिक निरीक्षण के लिए रखा जाएगा, जिनका उल्लेख नियमों में स्पष्ट रूप से किया गया है। इसका उद्देश्य मतदान गोपनीयता बनाए रखना और संवेदनशील डेटा के दुरुपयोग को रोकना है।
चुनाव आयोग और कानून मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, इस संशोधन के पीछे एक अदालती मामला प्रेरक रहा। चुनाव आयोग ने यह महसूस किया कि मतदान केंद्रों की सीसीटीवी फुटेज और वेबकास्टिंग रिकॉर्ड्स का दुरुपयोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकों के माध्यम से किया जा सकता है। यह मतदान गोपनीयता और सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है।
संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा का मुद्दा
चुनाव आयोग के सूत्रों ने बताया कि जम्मू-कश्मीर और नक्सल प्रभावित इलाकों जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में सीसीटीवी फुटेज साझा करने से गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इन क्षेत्रों में मतदाताओं की गोपनीयता बनाए रखना और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। आयोग ने बताया कि पहले भी ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां नियमों का हवाला देते हुए सीसीटीवी फुटेज और अन्य इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज मांगे गए थे।
उम्मीदवारों को पहले से ही दस्तावेजों की पहुंच
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि उम्मीदवारों को पहले से ही चुनाव से जुड़े सभी कागजात और दस्तावेजों तक पहुंच है। इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह संशोधन केवल सीसीटीवी फुटेज और वेबकास्टिंग जैसे दस्तावेजों के दुरुपयोग को रोकने के लिए किया गया है।
अस्पष्टता दूर करने का प्रयास
संशोधन का उद्देश्य नियमों में अस्पष्टता को दूर करना है। अब यह सुनिश्चित किया गया है कि केवल नियमों में उल्लिखित कागजात ही जनता के निरीक्षण के लिए उपलब्ध होंगे। किसी भी अन्य दस्तावेज़, जिनका उल्लेख नियमों में नहीं है, को सार्वजनिक रूप से साझा नहीं किया जाएगा।
चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और सुरक्षा का संतुलन
चुनाव आयोग का यह कदम पारदर्शिता और सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखने का प्रयास है। आयोग का मानना है कि यह बदलाव मतदान प्रक्रिया की गोपनीयता सुनिश्चित करेगा और संवेदनशील क्षेत्रों में मतदाताओं की जान जोखिम में पड़ने से बचाएगा।