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पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने साफ-साफ कह दिया है कि पंजाब के पास किसी भी अन्य राज्य को देने के लिए एक भी अतिरिक्त बूंद पानी नहीं है। उन्होंने यह बात रावी-ब्यास जल ट्रिब्यूनल के सामने मजबूती से रखी।
ट्रिब्यूनल की मीटिंग में शामिल जजों – चेयरमैन जस्टिस विनीत सरन, जस्टिस पी. नवीन राव, जस्टिस सुमन श्याम और रजिस्ट्रार रीटा चोपड़ा के सामने मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि पानी साझा करने का कोई सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने कहा कि जल उपलब्धता का नए सिरे से आंकलन किया जाए और पंजाब के किसानों को न्याय दिया जाए।
पंजाब में पानी की स्थिति क्यों है गंभीर?
मुख्यमंत्री ने बताया कि पंजाब के 76.5% ब्लॉकों में पानी की हालत बेहद खराब है।
🔹 153 में से 117 ब्लॉकों में भूजल जरूरत से ज्यादा निकाला जा रहा है।
🔹 हरियाणा में यह स्थिति केवल 61.5% (143 में से 88) ब्लॉकों में है।
🔹 पंजाब की नदियां सूख रही हैं, लेकिन फिर भी राज्य देश के लिए अन्न उत्पादन कर रहा है।
पंजाब को क्यों चाहिए ज्यादा पानी?
1️⃣ किसानों को खेती के लिए पानी की जरूरत है।
2️⃣ नदियों और जल स्रोतों की स्थिति बेहद खराब हो चुकी है।
3️⃣ अगर पानी की कमी जारी रही, तो आने वाली पीढ़ियों को मुश्किल होगी।
4️⃣ देश की खाद्य सुरक्षा बनाए रखने के लिए पंजाब को मजबूत रखना जरूरी है।
हरियाणा को पानी क्यों नहीं दिया जा सकता?
मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा रावी और ब्यास नदियों का बेसिन राज्य नहीं है, फिर भी पंजाब से जबरदस्ती पानी लिया जा रहा है।
- उन्होंने तर्क दिया कि अगर हरियाणा को रावी-ब्यास का पानी मिल सकता है, तो समानता के आधार पर पंजाब को यमुना नदी के पानी में भी हिस्सा मिलना चाहिए।
- पंजाब कई बार यमुना के पानी में हिस्सेदारी मांग चुका है, लेकिन इस मांग को नजरअंदाज कर दिया जाता है।
नहरी पानी के इस्तेमाल में बड़ा सुधार
मुख्यमंत्री ने बताया कि जब उन्होंने पदभार संभाला था, तब सिर्फ 21% नहरी पानी सिंचाई के लिए उपयोग हो रहा था।
✅ अब यह 84% तक बढ़ा दिया गया है।
✅ भूजल स्तर में एक मीटर तक सुधार दर्ज किया गया है।
फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने की मांग
भगवंत मान ने कहा कि पंजाब सरकार किसानों को गेहूं-धान के चक्र से बाहर निकालने और दूसरी फसलें उगाने के लिए प्रेरित कर रही है।
- उन्होंने केंद्र सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर वैकल्पिक फसलें खरीदने की मांग की।
पंजाब के किसानों के साथ भेदभाव क्यों?
मुख्यमंत्री ने अफसोस जताया कि पंजाब हर साल 180 लाख मीट्रिक टन चावल राष्ट्रीय खाद्य भंडार में देता है।
👉 इसके बावजूद किसानों को पराली जलाने और प्रदूषण फैलाने का दोषी ठहराया जाता है।
👉 उन्होंने इसे अनुचित और अन्यायपूर्ण करार दिया।
पंजाब – देश का अन्नदाता और सुरक्षा कवच
भगवंत मान ने कहा कि पंजाब सिर्फ अन्नदाता ही नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा का भी पहरेदार है।
🔹 यहां के लोग मेहनती, साहसी और उद्यमी हैं।
🔹 यह महान गुरुओं, संतों और शहीदों की भूमि है।
🔹 पंजाब हमेशा न्याय और सच्चाई के लिए खड़ा रहा है और आगे भी खड़ा रहेगा।
जनता के हक की रक्षा करेंगे – मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री ने ट्रिब्यूनल से न्याय की मांग की और कहा कि आने वाली पीढ़ियों के हक की रक्षा करना सरकार की प्राथमिकता है।
उन्होंने भरोसा दिलाया कि पंजाब और उसके लोगों के हितों की रक्षा के लिए सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी।