
पंजाब सरकार ने सोमवार को एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लिया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान की अगुवाई में हुई कैबिनेट मीटिंग में ‘लैंड पूलिंग नीति’ को मंजूरी दे दी गई है। यह नीति खासतौर पर किसानों के हितों को ध्यान में रखकर बनाई गई है।
सरकार ने साफ़ किया है कि किसी भी किसान से जबरदस्ती ज़मीन नहीं ली जाएगी। यदि कोई किसान स्वेच्छा से अपनी ज़मीन देना चाहता है, तभी उसे इस योजना में शामिल किया जाएगा। यह पूरी तरह से ‘सहमति पर आधारित’ नीति है।
क्या है लैंड पूलिंग नीति?
लैंड पूलिंग नीति के तहत यदि किसान अपनी ज़मीन योजना में देता है, तो उसे विकास के बाद उसी ज़मीन में से एक हिस्सा वापस मिलेगा, जो बेहतर सुविधाओं और अधिक मूल्य के साथ होगा। इससे किसान को ज़मीन की कीमत में सीधा फायदा होगा और वह खुद डिवेलपर की तरह काम कर सकेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह नीति किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाएगी और उनकी ज़मीन की रक्षा भी करेगी। साथ ही, ज़मीन का बेहतर और योजनाबद्ध उपयोग संभव होगा।
कहां लागू होगी यह योजना?
इस नीति को पहले चरण में पंजाब के 27 बड़े शहरों में लागू किया जाएगा। इसके बाद जरूरत के अनुसार अन्य स्थानों पर भी विस्तार किया जाएगा।
नीति की अहम बातें:
-
किसानों को सरकार को ज़मीन देने से पहले लिखित सहमति (NOC) देनी होगी।
-
जब तक किसान सहमति नहीं देगा, कोई निर्माण कार्य या योजना शुरू नहीं होगी।
-
किसान को उसकी ज़मीन का हिस्सा विकास के बाद सुविधाओं से लैस प्लॉट के रूप में वापस मिलेगा।
-
किसान अपनी ज़मीन को ख़ुद भी बेच सकता है, उस पर उसका पूरा अधिकार बना रहेगा।
-
ज़मीन देने पर किसान भागीदार बनेगा, मालिकाना हक़ खत्म नहीं होगा।
किसानों के लिए क्या फायदे?
-
ज़मीन की क़ीमत कई गुना बढ़ेगी।
-
कोई ज़बरदस्ती नहीं, सब कुछ स्वेच्छा से।
-
विकास के बाद अच्छी सड़कें, बिजली, पानी और अन्य सुविधाएं मिलेंगी।
-
किसान का भरोसा और हक़ पूरी तरह सुरक्षित रहेगा।
मंत्री अमन अरोड़ा ने मीटिंग के बाद कहा कि यह नीति सिर्फ़ एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि किसानों के भविष्य को बदलने वाला कदम है। यह पंजाब को एक बेहतर, संगठित और संपन्न राज्य बनाने की दिशा में बड़ा प्रयास है।
इस नई नीति से पंजाब में रियल एस्टेट, इंफ्रास्ट्रक्चर और कृषि तीनों को मजबूती मिलेगी और किसान विकास की मुख्यधारा में आएंगे।