पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान आज सुरजीत पातर की याद में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान अमृतसर स्थित गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी पहुंचे। कार्यक्रम में उन्होंने सुरजीत पातर को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उन्होंने पंजाबी कविता को नया रूप दिया है। मुख्यमंत्री ने बताया कि पातर साहब की कविताओं का कई भाषाओं में अनुवाद हुआ है।
भगवंत मान ने कहा कि जब उन्होंने कला क्षेत्र में कदम रखा, तो सुरजीत पातर से प्रेरित होकर कई कविताएँ लिखीं। उन्होंने यह भी बताया कि एक बार उन्होंने अपनी कविता सुरजीत पातर को सुनाई, तो पातर साहब ने उनकी लिखावट की तारीफ की। इस घटना ने उन्हें और ज्यादा लिखने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने आगे कहा कि जल्द ही अपनी कविताओं को एक किताब या ई-बुक के रूप में जारी करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब के पास शायर, कवी, लेखक और गायक जैसे प्रतिभाशाली लोग हैं, जिनकी वजह से पंजाब का सांस्कृतिक विरसा पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि बॉलीवुड में पंजाबी गाने न हों, तो उनकी पहचान अधूरी लगती है। उन्होंने लोगों से अपनी मातृभाषा को हमेशा प्राथमिकता देने की अपील की।
भगवंत मान ने बताया कि जब उन्होंने मुख्यमंत्री पद संभाला, तो उन्हें पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के आर्थिक संकट के बारे में जानकारी मिली। उन्होंने यूनिवर्सिटी को संकट से उबारने के लिए 350 करोड़ रुपये का बजट रखा। उनका मानना है कि अगर शिक्षकों को समय पर वेतन नहीं मिलेगा, तो शिक्षा का स्तर गिर जाएगा और यूनिवर्सिटी कैसे तरक्की करेगी।
मुख्यमंत्री ने लोगों को समझाया कि अपनी भाषा और संस्कृति को न भूलें। उन्होंने कहा कि चार लोग अगर अंग्रेजी या हिंदी में बोलते हैं, तो इसका मतलब यह नहीं कि हमें अपनी भाषा बदलनी चाहिए। पंजाबी भाषा सिर्फ एक साधारण भाषा नहीं, बल्कि एक महान संस्कृति का प्रतीक है।
भगवंत मान ने घोषणा की कि सुरजीत पातर की याद में एक “सुरजीत पातर सेंटर” की स्थापना की जाएगी। यह सेंटर 74 एथिकल ए.आई. यूनिवर्सिटी में बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकारों का दायित्व है कि वे अपने नागरिकों को सभी सुविधाएँ प्रदान करें और अपनी सांस्कृतिक धरोहर को बचाए रखें।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि हमें अपनी विरासत और शहीदों को याद रखना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि जो लोग अपने इतिहास और संस्कृति को याद रखते हैं, वे हमेशा जीवित रहते हैं। पंजाबियों की मेहनत और उनके द्वारा दुनिया भर में किए गए कामों पर गर्व करते हुए उन्होंने आने वाली पीढ़ियों के लिए इस विरासत को संरक्षित रखने की अपील की।